नई दिल्ली। मिलिट्री लिटरेचर को आमजन से जोड़ने के पीछे, खुद मेरी गहरी रुचि रही है। मेरी बड़ी इच्छा है कि हमारी आने वाली पीढ़ियां, हमारे देश के इतिहास, खासकर सीमाई इतिहास को जानें और समझें। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसलिए रक्षा मंत्री का पद ग्रहण करने के साथ ही, मैंने बकायदा एक कमेटी गठित की। यह हमारे सीमाई इतिहास, उससे जुड़े युद्ध, शूरवीरों के बलिदान और उनके समर्पण को सरल और सहज तरीके से लोगों के सामने लाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है। हिंदी हो या पंजाबी, या फिर गुजराती, लगभग सभी भाषाओं में ऐसे लेखन हुए हैं, जिन्होंने अपने समय में लोगों के अंदर स्वदेश प्रेम की भावना को जागृत और विकसित किया।
यह भी पढ़ें: CM योगी के किसान संवाद का मोर्चा संभालने से भाजपा काफी उत्साहित है…
हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है: राजनाथ सिंह
बता दें कि राष्ट्रीय स्तर के चौथे मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिरकत की। इसमें हरियाणा, पंजाब, हिमाचल सहित कई विभिन्न राज्यों के सेवारत और पूर्व जवान और अफसरों समेत रक्षा विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान चीन और पाकिस्तान से चल रहे मौजूदा तनाव, लद्दाख की स्थिति से लेकर वर्तमान में सैन्य नेतृत्व पर डिस्कशन होगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम में कहा कि हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है।
इस लिटरेचर फेस्ट का उद्घाटन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया। कोरोना महामारी के चलते इस तीन दिवस समारोह को पूरी तरह वर्चुअल रखा गया है। जिसके चलते सभी पैनल डीस्कशन वर्चुअली किए जाएंगे। जिसकी अध्यक्षता पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह करेंगे। खास बात यह है की इस फेस्टिवल में न सिर्फ पूरे देश के बल्कि विदेशी रक्षा विशेषज्ञ भी जुड़ेंगे। इस दौरान विभिन्न विषयों पर 13 चर्चाएं होंगी जिन्हें एमएलएफ (मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल) की वेबसाइट, फेसबुक, यूट्यूब और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्मों पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम में कहा कि हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है।