अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने की कवायद में जुटी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी अपना वजूद खोतीनजर आ रही है। इसका उदाहरण है यूपी कांग्रेस को छोड़ दूसरे दलों में लगातार शामिल होना। दरअसल, यूपी कांग्रेस के कई नेताओं ने हाथ का साथ छोड़कर सपा और आप का दामन थाम लिया है और यह क्रम बदस्तूर जारी है। कांग्रेस को लगातार मिल रहे इन झटकों का फ़ायदा सूबे में अपनी राजनीतिक पहुंच बनाने जुटी आप को हो रहा है।
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं का बयान
आप में शामिल होने वाले रायबरेली में कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता नदीम अशरफ जायसी ने कहा कि जेएनयू के पूर्व छात्र संदीप सिंह को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का राजनीतिक सलाहकार माना जाता है। वह एक दूसरी विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जो गांधी और नेहरू की विचारधारा से कोसों दूर है। वरिष्ठ पार्टी नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है।
जायसी ने आगे कहा कि रिहाई मंच (एनजीओ) का एक व्यक्ति, जिसने कभी कांग्रेस के लिए काम नहीं किया, उसे अब रायबरेली का प्रभारी और यूपी कांग्रेस का सचिव बनाया गया है। मुझे इस सेट-अप में घुटन महसूस हुई। संदीप सिंह को उनके राजनीतिक कार्य से ज्यादा उनके बुरे व्यवहार के लिए जाना जाता है। कोई भी इस तरह के माहौल में क्यों रहेगा?
अपने आप में शामिल होने के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें अंतत: अपनी राय को आगे बढ़ाने का मौका दिया जा रहा है और पार्टी लोकतांत्रिक कामकाज में विश्वास करती है।
पूर्व सांसद अन्नू टंडन सैकड़ों समर्थकों के साथ पिछले महीने सपा में शामिल हो गए थे। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लगभग हर दिन जिलों में पार्टी छोड़ रहे हैं। अन्नू टंडन ने यह भी कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश कांग्रेस में घुटन का माहौल पाया।
गौरतलब है कि रायबरेली में जायसी के कांग्रेस को छोड़ने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है, जहां उसके दो विधायकों (अदिति सिंह और राकेश सिंह) ने पहले ही पार्टी से नाता तोड़ लिया है। रायबरेली एकमात्र लोकसभा सीट है जो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में यह सीट जीती थी।
पिछले साल नवंबर में पार्टी से निष्कासित नौ वरिष्ठ कांग्रेसियों ने कांग्रेस पर वाम विचारधारा को थोपने के लिए भी संदीप सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इससे यह भी पता चलता है कि युवा कांग्रेस के सदस्य दोषपूर्ण नीतियों के कारण राज्य के नेतृत्व में विश्वास खो रहे हैं। वामपंथी नेताओं को अधिकांश विभागों का प्रभार दिए जाने के बाद कई नेता घुटन महसूस कर रहे हैं।
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हाल ही में सपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ चुके कैसर जहां ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्वविहीन और दिशाहीन हो गई है।