बॉलीवुड ऐक्ट्रेस कंगना रनौत को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। दरअसल, शुक्रवार को कंगना रनौत के बांद्रा हिल स्थित मणिकर्णिका बंगले बंगले को मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा तोड़े जाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने न सिर्फ कंगना को राहत दी बल्कि बीएमसी को कड़ी फटकार भी लगाई। इसके अलावा अदालत ने कहा कि कंगना अपने बंगले का रिकंस्ट्रक्शनकरवा सकती हैं।
कंगना रनौत को हाईकोर्ट ने दी सलाह
दरअसल, बीएमसी द्वारा मणिकर्णिका बंगला तोड़े जाने के बाद कंगना रनौत ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नुकसान के लिए दो करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कंगना द्वारा मुंबई को पीओके जैसा बताने का बयान गलत है लेकिन इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान को शासन-प्रशासन को नजरअंदाज करना चाहिए। इसके बावजूद अगर कार्यवाई करनी थी तो कानून के दायरे में रहकर किया जाना चाहिए था।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में स्पष्ट है कि कार्यवाई दुर्भावनापूर्ण थी। कंगना द्वारा मुंबई को पीओके जैसा बताने के बाद यह कार्यवाई हुई, ऐसा सामना अखबार में छपे लेख और शिवसेना नेता संजय राउत के बयान से प्रतीत होता है।
कंगना की याचिका को स्वीकार करते हुए मुंबई महानगर पालिका की नोटिस को बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कंगना याचिकाकर्ता बंगले में रहने योग्य निर्माण कार्य कर सकती है। ऑफिस का रिकंस्ट्रक्शशन कर सकती हैं लेकिन वह जरुरी परमिशन लें।
कोर्ट ने आदेश के दौरान कहा कि वह कंगना रनौत द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से सहमत नहीं हैं लेकिन राज्य एक नागरिक के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं कर सकता हैं। याचिकाकर्ता (कंगना) को अपने विचार पब्लिक प्लेटफॉर्म पर करते वक्त बचना चाहिए। राज्य को किसी व्यक्ति द्वारा बोले गए गैरजिम्मेदारा बयान को नजरअंदाज करना चाहिए।
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हाईकोर्ट ने कहा, राज्य किसी व्यक्ति के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई नहीं कर सकता। इस केस का बैकग्राउंड देखकर लगता हैं कि कंगना रनौत के ऑफिस में हुई तोड़फोड़ कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण और सोच समझकर की गई हैं। कंगना द्वारा किए गए ट्वीट्स और बयान की वजह से कंगना को टार्गेट किया गया हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर कंगना ने ट्वीट कर लिखा कि हाईकोर्ट का फैसला लोकतंत्र की जीत है। कोर्ट का फैसला मेरी व्यक्तिगत जीत नहीं। जिन्होंने मुझे हिम्मत दी उनका धन्यवाद।