मध्यप्रदेश में बालक, बालिकाओं का बाल विवाह की सामाजिक कुरीति को रोकने के लिए सरकार ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम लागू कर दिया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार बाल विवाह की सामाजिक कुरीति को समाज से पूरी तरह समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू किया गया है। इसके तहत बाल विवाह करवाने वाले दोनों पक्षों (वर- वधु) के माता-पिता, भाई-बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित अथवा अन्य धर्मगुरू, विवाह में शामिल बाराती, घराती, बाजेवाले, घोडेवाले, टेंटवाले, हलवाई तथा विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले अन्य सभी संबंधित व्यक्तियों पर कानून कार्रवाही की जायेगी।
इस अधिनियम के तहत माता-पिता अपने बच्चों का विधि अनुरूप विवाह की निर्धारित आयु के पूर्व (लड़की की 18 एवं लड़के की 21 वर्ष) किसी भी दशा में नहीं कर सकेंगे। इस अधिनियम के अनुसार जनसाधारण एवं विवाह में सेवा देने वाले सेवाप्रदाता ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में न तो शामिल हों सकेंगे और न ही अपनी सेवायें दें सकेंगे अन्यथा उनके विरूद्ध अधिनियम तहत कानूनी कार्रवाही की जायेगी।
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सरकार ने इसी क्रम में एक विशेष अपील विवाह कराने वाले धर्मगुरूओं, विवाह में सेवा देने वाले सेवाप्रदाताओं तथा मुद्रकों से की है कि वे विवाह के पूर्व वर एवं वधू दोंनो की सही आयु की संतुष्टि के लिए उनके मूल जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची, स्कूल टीसी आदि की सत्यापित छायाप्रति प्राप्त कर अपने पास अनिवार्य रूप से संग्रहित करें तथा उम्र सही होने की दशा में ही विवाह की पत्रिका छापें एवं सेवाएं देना सुनिश्चित करें। जहां विवाह होने वाले लड़का एवं लड़की की उम्र सही न होने की दशा में विवाह पत्रिका न छापे और न ही सेवायें दें। साथ ही ऐसे प्रकरणों की सूचना तत्काल जिला एवं ब्लॉक स्तर पर संचालित महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय को दें। सूचनाकर्ता की जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखी जायेगी। ऐसे विवाह में सेवाप्रदाय करने वाले व्यक्ति, सेवाप्रदाता, मुद्रक, फर्म के विरूद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कड़ी कार्रवाही की जायेगी।