पूरी दुनिया इस साल अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रही है. चूंकि यह आयोजन भारत की पहल पर ही हो रहा है. लिहाजा देश में इस आयोजन को सफल बनाने की जोरदार तैयारियां चल रही हैं. उत्तर प्रदेश में कृषि अधिकांश लोगों की आजीविका का साधन है. दुनिया की उर्वरतम भूमि में शुमार इंडो गंगेटिक बेल्ट का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही आता है.
भरपूर पानी और मानव संसाधन होने के नाते उत्तर प्रदेश में किसी तरह की खेती की संभावना भी अच्छी है. यही वजह है कि मात्र 11 फीसद रकबे वाला उत्तर प्रदेश देश का 20 फीसद खाद्यान्न पैदा करता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खेतीबाड़ी में खासी रुचि भी है. यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष को सफल बनाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी.
सीएम योगी के मार्गदर्शन और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के निर्देश पर तैयारियां भी इसी अनुरूप हो रही हैं. प्रदेश के कृषि विभाग की ओर से “उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्धार कार्यक्रम” चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य मिलेट्स की पोषण संबंधी खूबियों से लोगों को वाकिफ कराना है. साथ ही इसके जरिए यह भी सुनिश्चित कराना है कि बेहतर स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा के लिए अधिकतम लोग इनका किसी न किसी रूप में इनका उपभोग करें.
इसके मद्देनजर योजना के तहत मिलेट्स फसलों जैसे कि बाजरा,ज्वार, सावा, कोदो आदि की खेती को व्यापक पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए समग्रता में प्रयास किये जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार मिलेटस पुनरोद्धार कार्यक्रम पर (जनवरी 2023- 2026-27) 186.27 करोड़ रुपये खर्च करेगी. बता दें कि साल 2021-22 में कुल 10.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्रमुख मिलेट्स फसलों का उत्पादन हुआ है. इसमें बाजरा, ज्वार, कोदो एवं सावा का रकबा क्रमशः 9.05 , 1.71, 0.02, 0.05 लाख हेक्टेयर है. 2026-27 तक इनकी बुआई का रकबा बढ़ाकर तक 25 लाख हेक्टेयर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य योगी सरकार ने तय किया है.
इस कार्यक्रम के तहत सरकार किसानों को निःशुल्क बीज मिनीकिट वितरित करेगी. प्रदेश की योगी सरकार चार साल में 2.5 लाख किसानों को निःशुल्क बीज देने में 11.86 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इस तरह से योजना के तहत चार साल में कुल 2.5 लाख बीज मिनीकिट मिलेट् किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे.
बीजोत्पादन पर खर्च होंगे 7.20 करोड़ रुपये
मिलेट्स के बीजोत्पादन के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक कुल 180 कृषक उत्पादक संगठनों को चार लाख रुपये प्रति एफपीओ की दर से सीड मनी उपलब्ध कराया जायेगा. इससे भविष्य में प्रदेश में मिलेट्स की विभिन्न फसलों के बीज स्थानीय स्तर पर कृषकों को उपलब्ध हो सकेंगे. इस कार्यक्रम पर चार वर्षों में 7.20 करोड़ रुपये का व्यय किए जाएंगे.
चार साल में 2.9 लाख किसान सीखेंगे उन्नत खेती के तौर-तरीके
प्रदेश सरकार की तरफ से मिलेट्स का रकबा और उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम राज्य से लेकर ब्लाक स्तर पर चलाए जाएंगे. इसके तहत हर साल 72,500 किसानों को हर साल मिलेट्स की बेहतर खेती के तौर-तरीकों के बाबत प्रशिक्षित किया जाएगा. इस तरह चार साल में कुल 2.9 लाख किसान लाभान्वित होंगे. कार्यक्रम के इस चरण में मिलेट्स फसलों के क्षमतावर्धन और प्रचार-प्रसार पर चार साल में 111.50 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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प्रसंस्करण पर जोर
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा साल 2023-24 से साल 2026-27 तक मिलेट्स के मूल्य संवर्द्धन के लिए प्रदेश में कुल 55 मिलेटस प्रसंस्करण, पैकिंग सह विपणन केन्द्र की स्थापना कराया जाएगा. इसके तहत एक इकाई की लागत 95 लाख रुपए आंकलित है. 25 इकाई की स्थापना के लिए कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों को शत प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा. 30 इकाइयों की स्थापना के लिए कृषक उत्पादक संगठन एवं उद्यमियों को कुल निर्धारित लागत का 50 फीसद अनुदान देय होगा. तय समय में इस मद में विभाग लगभग 38 करोड़ रुपये खर्च करेगा.