केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार द्वारा लागू किये गए नए आईटी रूल्स को एक बार फिर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, व्हाट्स ऐप और फेसबुक ने इस नए आईटी रूल्स को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मोदी सरकार को नोटिस भी थमा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर का दिन निर्धारित किया गया है।
आईटी रूल्स के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने की सुनवाई
गुरुवार को आईटी मंत्रालय की ओर से पेश वकील वाजे नूर ने हाईकोर्ट से सुनवाई स्थगित करने की मांग की। इसका फेसबुक की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने विरोध करते हुए कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान भी समय मांगा गया था, जिसकी वजह से नोटिस जारी नहीं किया जा सका। अब वे दोबारा ऐसा कर रहे हैं। उन्हें जवाब दाखिल करने का आदेश दिया जाए। रोहतगी ने आईटी रूल्स में ट्रेसेबिलिटी के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
नौ जुलाई को सुनवाई के दौरान व्हाट्स ऐप ने हाईकोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा। व्हाट्स ऐप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता, तब तक उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी। साल्वे ने कहा था कि व्हाट्स ऐप ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के नोटिस का जवाब दे दिया है। उन्होंने कहा था कि प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देना और प्रतिस्पर्द्धा आयोग की जांच को चुनौती देना दोनों अलग-अलग बातें हैं।
इसके पहले 22 अप्रैल को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्स ऐप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दी थी। इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है। सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्स ऐप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है।
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उन्होंने कहा था कि व्हाट्स ऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराने का है। इस पॉलिसी से व्यावसायिक सेवाओं का बेहतर उपयोग करने की सुविधा है। व्हाट्स ऐप की व्यावसायिक सेवा अलग है, जो फेसबुक से लिंक की गई है। उन्होंने कहा था कि व्हाट्स ऐप किसी यूजर की निजी बातचीत को नहीं देखता है। नई प्राइवेसी पॉलिसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
प्रतिस्पर्द्धा आयोग की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ये मामला केवल प्राइवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है। उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है। उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्स ऐप की इस नीति को प्राइवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।