यूपी चुनाव 2022 : BJP के लिए क्यों अहम है चौथा चरण ? यह है बड़ी चुनौती

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी को नौ जिलों में 59 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहा है. इस चरण में 16 आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं. चौथे चरण में पीलीभीत, लखीमपुर-खीरी, सीतापुर, लखनऊ, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा जिलों में मतदान होगा. 59 विधानसभा सीटों के लिए कुल 624 उम्मीदवार मैदान में हैं. हरदोई के स्वयंजपुर में अधिकतम 15 उम्मीदवार हैं, जबकि लखीमपुर के पलिया और सीतापुर के सेवाता सहित दो सीटों के लिए कम से कम छह उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. चौथे चरण में रोहिलखंड, तराई क्षेत्र, अवध और बुंदेलखंड क्षेत्रों में मतदान होगा.

वर्ष 2017 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 59 में से 51 सीटों पर जीत हासिल की थी. एक सीट उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने जीती थी. चार सीटों पर सपा ने जीत हासिल की थी, जबकि दो सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की. इस चरण में राज्य की राजधानी लखनऊ में भी मतदान हो रहा है, जिसमें नौ विधानसभा सीटें हैं. इनमें से आठ भाजपा के पास हैं. इस चरण में लखीमपुर खीरी में भी मतदान हो रहा है, जो किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु बन गया था, खासकर 3 अक्टूबर की घटना के बाद जिसमें केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के स्वामित्व वाली एसयूवी द्वारा चार किसानों को कुचल दिया गया था. आशीष मिश्रा हाल ही में पिछले हफ्ते जेल से जमानत पर छूटे थे. इस घटना को लेकर विपक्ष लगातार बीजेपी पर निशाना साधता रहा है और मिश्रा की रिहाई ने आग और तेज कर दी.

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51 सीटों को बरकरार रखने की है चुनौती

 

यह चरण भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी 51 सीटों को बरकरार रखने की चुनौती का सामना कर रही है. पार्टी को तराई क्षेत्र में प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है जहां भाजपा सांसद वरुण गांधी अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुद्दों पर बोल रहे हैं. वरुण गांधी किसान बहुल निर्वाचन क्षेत्र पीलीभीत से सांसद हैं.  फिर पार्टी को लखीमपुर में शत्रुतापूर्ण मतदाताओं का सामना करना पड़ता है जहां विपक्ष अक्टूबर की घटना को जनता की स्मृति से मिटने देने से इनकार कर रहा है. सीतापुर में बीजेपी का मुकाबला बागी उम्मीदवारों से है. कांग्रेस के लिए इन चुनावों की सबसे बड़ी चुनौती रायबरेली से है जहां इसी हफ्ते चुनाव होने हैं. कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह दोनों बागी हो गए हैं और भाजपा में शामिल हो गए हैं. रायबरेली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है और अगर पार्टी यहां सीटें जीतने में विफल रहती है तो उसे बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा.