देश में जारी किसान आंदोलन के बीच केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि कोरोना काल में लागू किये गए कृषि कानूनों को किसानों की सलाह लिए के बिना ही तैयार किया गया। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसानों से कृषि कानूनों के प्रावधान पर चर्चा कर ये कानून बनाये गये हैं।
कृषि कानूनों को लेकर गोयल ने दिया ये बयान
केंद्रीय मंत्री गोयल ने शुक्रवार को एक ट्वीट के जरिए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने कृषि सुधारों पर शुरू से ही, सभी से चर्चा की है। राज्यों को मॉडल कानून भेजे गये, मुख्यमंत्रियों से चचार्एं की गयीं। उन्होंने आगे कहा कि डेढ लाख प्रशिक्षण और वेबिनार सेशन द्वारा किसानों से कृषि कानूनों के प्रावधान पर चर्चा कर ये कानून बनाये गये हैं।
केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में लागू तीन कृषि कानूनों को लेकर यह आरोप लगाया जाता है कि सरकार ने कानून बनाने से पहले किसानों की राय नहीं ली। इन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन बीते तीन सप्ताह से ज्यादा समय से चल रहा है। ऐसे में रेलमंत्री का यह बयान काफी अहम है।
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पीयूष गोयल केंद्र सरकार में रेलवे, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अलावा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान और गेहूं की जो देशभर में व्यापक पैमाने पर खरीद उन्हीं के मंत्रालय के माध्यम से होती है।