कानपुर। हाइवे और एक्सप्रेस में हादसों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इन हादसों में देखा जा रहा है कि गोल्डन आवर यानी पहले घंटे में घायलों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता। जिससे हादसे में मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर शासन गंभीर है और सभी हाइवे और एक्सप्रेस में हर सौ किमी के दायरे में ट्रामा सेंटर खोले जाने की तैयारी की जा रही है। यह बातें कानपुर आए चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक डा. वीवी सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) एवं एक्सप्रेस-वे का जाल तेजी से फैल रहा है। इन बेहतर सड़कों पर वाहनों की रफ्तार भी बढ़ी है और यह देखा जा रहा है कि उसी अनुपात में सड़क हादसे भी बढ़े हैं। इसलिए प्रत्येक सौ किमी पर ट्रामा सेंटर डेवलप करने का निर्णय लिया गया है, ताकि हादसे में घायलों को पहले घंटे यानी गोल्डन आवर में इलाज मुहैया कराकर जान बचाई जा सके।
इसके साथ ही ट्रामा मैनेजमेंट के लिए प्रत्येक जिले में एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, एक्सप्रेस-वे अथारिटी एवं उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के साथ मिलकर कमेटी बनाएंगे। कमेटी के नोडल अफसर स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर होंगे। यह कमेटी निर्माण एजेंसी के साथ मिलकर एनएच के डेंजर जोन चिन्हित करेगी, जहां सर्वाधिक हादसे होते हैं। इसी तरह यमुना एक्सप्रेस-वे व लखनऊ एक्सप्रेस-वे के डेंजर जोन चिन्हित किए जाएंगे। फिर मंथन के बाद डिजाइन में भी बदलाव कराया जाएगा।
प्रदेश में हैं 47 ट्रामा सेंटर
चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक डा. वेदव्रत सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में फिलहाल 47 ट्रामा सेंटर हैं, उसमें से 31 ही सेमी फंक्शनल हैं। इसका प्रमुख कारण है कि स्पेशलिस्ट एवं सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी है। इन ट्रामा सेंटरों में प्लास्टिक सर्जन, हार्ट सर्जन, न्यूरो सर्जन और पीडियाट्रिक सर्जन के पद भी नहीं भरे हैं। इससे ट्रामा सेंटर अपनी क्षमता के अनुरुप कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है और इसके लिए आर्थोपेडिक सर्जन और जनरल सर्जन को छह माह की ट्रामा केयर की ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी। इससे स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी को दूर करके ट्रामा केयर की सुविधा को भी बेहतर बनाया जा सकेगा।
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108 से संचालित होगीं हाइवे और एक्सप्रेस वे की एम्बुलेंस सेवा
महानिदेशक ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी हाइवे और एक्सप्रेस वे के पास एम्बुलेंस सेवा है। लेकिन लोगों को इसकी जानकारी कम ही है और इन सेवाओं का लोग लाभ पूरी तरह से नहीं उठा पाते। ऐसे में इन एम्बुलेंस सेवाओं को भी 108 नंबर से संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है ताकि घायलों को फौरन चिकित्सीय सुविधा मिल सके।