कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को आज 31 दिन पूरे हो चुके हैं। इन 31 दिनों में सरकार और किसानों के बीच कई दौर में बातचीत भी हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई भी हल निकलता नहीं दिख रहा है। इसी बीच किसानों ने एक बार फिर मोदी सरकार की बात मान ली है और बातचीत करने के लिए राजी हो गए हैं। सरकार और किसानों के बीच हुई इस बातचीत के लिए 29 दिसंबर का दिन निर्धारित किया गया है।
किसान नेताओं ने किया यह ऐलान
दरअसल, बातचीत के परिपेक्ष्य में मोदी सरकार की ओर से मिले पत्र पर शनिवार को किसानों के बीच हुई बैठक में मोदी सरकार से बातचीत के लिए रजामंदी दे दी गई है। इस बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि वह सरकार से अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर से बातचीत के लिए तैयार है। 29 दिसंबर को संभवत: सुबह 11 बजे एक बार फिर से सरकार और किसानों के बीच में वार्ता होगी।
आपको बता दें कि अभी तक किसानों और मोदी सरकार के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, हर बार बिना किसी निष्कर्ष के निकले ही यह बातचीत ख़त्म हो गई। एक बार फिर किसानॉन ने मोदी सरकार द्वारा दिए गए बातचीत के प्रस्ताव पर हामी भरी है, देखना है कि इस बार बातचीत में कोई निष्कर्ष निकलता है या नहीं। हालांकि, इस बार की बातचीत अहम मानी जा रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस आंदोलन का हल निकालने के लिए वार्ता पर जोर दिया था और साफ कहा था सरकार तर्कपूर्ण वार्ता के लिए तैयार है।
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अभी तक हुई बातचीत में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केन्द्रीय मंत्री पियूष गोयल मोदी सरकार की ओर से अगुवाई करते रहे हैं। बातचीत के इस सिलसिले में मोदी सरकार हर बार आंदोलित किसानों के सामने कृषि कानूनों में संशोधन का प्रत्साव रखती रही है, जबकि किसान इस क़ानून को रद्द किये जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।