तेज प्रताप यादव, नीतीश कुमार सरकार में पर्यावरण और वन मंत्री हैं। वैसे तो वो मंत्री बनने से पहले ही अलग अलग वजहों से चर्चा में रहते आए हैं। चाहे कृष्ण भक्ति हो या तलाक विवाद। लेकिन इस समय चर्चा में आने की वजह कुछ और ही है। अब वो सूबे के पर्यावरण मंत्री हैं तो राज्य की आबोहवा को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। उसी क्रम में वो विभाग की बैठक कर रहे थे। यह बात अलग है कि उस बैठक में उनके बहनोई यानी जीजा जी भी थे। कहा यह भी जा रहा है कि बैठक का संचालन उनके जीजा शैलेश कुमार कर रहे थे। लेकिन इन सबके पहले तेज प्रताप यादव कहा करते थे कि वो हर एक काम दिल से करते हैं और दिल की सुनते हैं। उनके मुताबिक जो दिल कहता है वो पाक साफ निष्कपट और प्रपंचों से दूर होता है। दिल की आवाज सुनकर जो फैसला करता है वो न्यायसंगत होता है।
तेज प्रताप के बहनोई कर रहे थे संचालन !
अब यदि तेज प्रताप यादव के हिसाब से अगर पर्यावरण मंत्रालय की बैठक में उनके जीजा शिरकत करते हैं तो कुछ गलत नहीं है। लेकिन संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता है। मंत्री जी को खुद उनकी शपथ इजाजत नहीं देती जिसमें वो कहते हैं कि राजकीय गोपनीयता को बनाए रखने की अक्षुण्ण जिम्मेदारी है। वैसे तो अब वो बैठक हो चुकी है। लेकिन तेज प्रताप यादव के साथ साथ उनके पिता लालू प्रसाद यादव भी निशाने पर हैं, हालांकि लालू यादव सरकार के हिस्सा नहीं हैं। लगे हाथ बीजेपी के कद्दावर नेता सुशील मोदी ने सवाल भी पूछ लिया।
सुशील मोदी ने साधा निशाना
पिछले तीन वर्षों से सुर्खियों में रहने वाले तेज प्रताप यादव एक बार फिर चर्चा में हैं। जैसा कि पता चला है कि मंत्री होने के नाते जब उन्होंने पहली बैठक बुलाई को उसका संचालन वो खुद नहीं बल्कि उनके बहनोई कर रहे थे। आखिर वो कौन सा नियम है जिसके तहत उनके बहनोई शैलेष कुमार बैठक ले रहे थे। वो लालू प्रसाद यादव से भी पूछना चाहते हैं कि आखिर वो कौन सा नियम है। माननीय नीतीश कुमार को भी बताना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तो यह सरकार में दखल की प्रारंभिक शुरुआत है। आगे आगे देखते जाइए क्या क्या होता है और बिहार की जनता को क्या कुछ देखना पड़ेगा।