जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके राय ने कहा कि उपचार के प्रारंभ में ही ड्रग रजिस्टेंस की जांच क्षय रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। ऐसे में क्षय रोगी उपचार शुरू होने से पहले ही ड्रग रजिस्टेंस की जांच करा लें, इससे सटीक इलाज होगा। मरीज भी जल्दी ठीक हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार की मंशा है कि वर्ष 2025 तक देश टीबी रोग मुक्त हो जाए। इसके लिए शासन-प्रशासन द्वारा समय समय पर टीबी रोगी खोजी अभियान चलाया जाता है। जटिलता की स्थिति में क्षय रोगियों को अच्छी गुणवत्ता वाली जटिल क्षय रोग की मंहगी दवाएं निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती है। मरीज का सटीक इलाज करके जल्द से जल्द ठीक करने के लिए ड्रग रेजिस्टेंस की जांच जरूरी है।
इस जांच से बैक्टीरिया की दवाओं के प्रति प्रतिरोध का पता चल जाता है, जिससे उसे वह दवाएं दी जाती हैं जो कारगर हो और मरीज आसानी से ठीक हो जाए। इस जांच से यह भी पता चल जाता है कि मरीज सामान्य क्षय रोग से ग्रसित है अथवा जटिल क्षय रोग से। सामान्य क्षय रोग की स्थिति में प्रथम पंक्ति की दवाएं व जटिल क्षय रोग (एमडीआर/एक्सडीआर) की स्थिति में दूसरी पंक्ति की दवाएं बिल्कुल नि:शुल्क प्रदान की जाती है।
पहली पंक्ति के क्षय रोगी की दवा छह माह की होती है जबकि दूसरी पंक्ति अर्थात एमडीआर की दवा दो साल तक चलती है। समय से एमडीआर का पता चल जाए तो नौ महीने में भी वह ठीक हो सकता है।
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458 रोगियों की हुई ड्रग रजिस्टेंस की जांच
जिला कार्यक्रम समन्वयक श्याम ने बताया कि पहली जनवरी 2021 से 15 मार्च 2021 तक जिले में कुल 458 मरीजों के ड्रग रजिस्टेंस की जांच की गयी। जिसमें से 12 मरीज एमडीआर के मिले हैं। अब इन मरीजों को जांच रिपोर्ट के आधार पर एमडीआर की दवा उपलब्ध करायी गयी है।
उपलब्ध है ड्रग रजिस्टेंस की जांच के लिए पांच सीबीनॉट/ट्रू नाट मशीन
डीटीओ ने बताया कि जिले में ड्रग रजिस्टेंस की जांच के लिए पांच सीबीनॉट/ ट्रू नाट मशीनें उपलब्ध हैं, जो एक सीबीनॉट चिंचौली स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय पर तथा एक-एक ट्रू नाट मशीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सहार, अछल्दा, अजीतमल व बिधूना में हैं।
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