बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार कहा गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस मामलों में दोषियों को रिहाई रातों रात कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर दोषियों को प्रतिवादी बनाने के लिए कहा और गुजरात सरकार को 2 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि इस मामले में दोषियों की रिहाई किए जाने पर गुजरात सरकार के खिलाफ एक जनहित याचिका सुप्रीम कोप्ट में दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई के लिए कोर्ट राजी हो गया है। याचिका को CPM नेता सुभाषिनी अली, लेखिका रेवती लाल और मानवाधिकार कार्यकर्ता रूप रेखा वर्मा ने दाखिल किया था। याचिका में कहा गया था कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई ने की थी, इसलिए गुजरात सरकार दोषियों को सजा में छूट का एकतरफा फैसला नहीं कर सकती। बिलकिस बानों केस में दोषियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार को पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय से सलाह लेना अनिवार्य है।
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जानें क्या है पूरा मामला
साल 2008 में CBI की विशेष अदालत ने 13 में से 11 आरोपियों को बिलकिस बानो से दुष्कर्म के मामले में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सभी 11 दोषी अब रिहा हो चुके हैं क्योंकि गुजरात सरकार ने कैद के दौरान सभी दोषियों के अच्छे चाल-चलन के आधार पर रिहाई का फैसला लिया। आपको बता दे कि कोर्ट से सजा मिलने के बाद सभी दोषियों को सामूहिक बलात्कार और परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के मामले में 15 साल से जेल में थे। लेकिन गुजरात सरकार ने हाल ही में इन सभी को रिहा कर दिया था।