पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ जहां पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस को इस्तीफा देकर ममता बनर्जी को झटका दिया था। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को नोटिस थमाकर एक और मुश्किल खाड़ी कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
दरअसल, पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के चलते बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच एक तीखी जंग चल रही है। इस तीखी जंग की वजह से दोनों दल एक-दूसरे पर तरह-तरह के आरोप मढ़ते नजर आ रहे हैं। दोनों दलों के बीच जारी इस जंग की गूंज अब सुप्रीम कोर्ट में भी सुनाई देने लगी है। बीजेपी के कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में ममता सरकार के खिलाफ आरोप दाखिल किया है। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि ममता सरकार आए दिन बीजेपी नेताओं पर नए नए मामले दर्ज करने का आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह, पवन कुमार सिंह और कबीर शंकर बोस की याचिका पर सुनवाई करने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है।
जब कोर्ट ने सांसद अर्जुन सिंह से पूछा कि उनके खिलाफ 64 मामले कब दर्ज किए गए, तो इसके जवाब में अर्जुन सिंह के वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि जब से सिंह ने टीएमसी छोड़ी है, उसके बाद से नंबबर 2020 के मध्य में ये सभी मामले दर्ज किए गए हैं।
वहीं कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि वह जबसे पश्चिम बंगाल में प्रचार के लिए जा रहे हैं, तभी से उनके खिलाफ भी मामले दर्ज हो रहे हैं। इन नेताओं की मांग है कि पश्चिम बंगाल में इनके खिलाफ जो भी मामले दर्ज किए गए हैं, उनकी जांच स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौंपी जाए और इन मामलों की सुनवाई भी राज्य के बाहर ही की जाए।
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इस सुनवाई के बार सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही अगले आदेश तक बीजेपी नेताओं के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाई है।
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