सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि मृतक श्याम सुंदर और पत्रकार की मौत पर राज्य सरकार स्टेटस रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाहों के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान तेजी से दर्ज किए जाएं। मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जांच में हुई है प्रगति
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा कि 30 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हो चुके हैं। उनमें 23 प्रत्यक्षदर्शी हैं। तब चीफ जस्टिस एनवी रमना ने पूछा कि वहां तो सैकड़ों थे, उनमें सिर्फ 23 ही चश्मदीद हैं। तब साल्वे ने कहा कि हमने गवाही के लिए विज्ञापन जारी किया था। वीडियो सबूत भी मिले हैं। परीक्षण जारी है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने राज्य सरकार की ओर से दाखिल रिपोर्ट देखी है। जांच में प्रगति हुई है। हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं। सभी के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाए जाएं। घटना में भीड़ के हाथों मारे गए श्याम सुंदर की पत्नी रूबी देवी और पत्रकार रमन कश्यप के परिवार ने भी जांच में कमी की शिकायत की है। रूबी देवी के वकील ने कहा कि तीन आरोपित अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। वह उन्हें धमकी दे रहे हैं।
20 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यूपी सरकार ये धारणा न बनने दे कि वो जांच को लेकर अपने पैर पीछे खींच रही है। पिछली 8 अक्टूबर को कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर असंतोष जताते हुए यूपी सरकार से पूछा था कि क्या आरोपित आम आदमी होता तो उसे इतनी छूट मिलती। कोर्ट ने कहा था कि एसआईटी में सिर्फ स्थानीय अधिकारियों को रखा गया है। यह मामला ऐसा नहीं जिसे सीबीआई को सौंपना भी सही नहीं रहेगा। हमें कोई और तरीका देखना होगा। डीजीपी सबूतों को सुरक्षित रखें।
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उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में दर्ज एफआईआर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा को आरोपित बनाया गया है। आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उसकी गाड़ी से कुचलकर चार लोगों की मौत हो गई।