हिन्दू पंचांग के अनुसार कुंभ संक्रांति कल यानी 12 फरवरी 2021 (शुक्रवार) को है। कल सूर्यदेव कुंभ राशि में गोचर करेंगे और 14 मार्च तक इसी राशि में रहेंगे। इसके बाद सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ संक्रांति के दिन सभी देवी-देवताओं का पवित्र नदियों में वास होता है। ऐसे में इस दिन नदी या कुंड स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य भगवान की पूजा और अर्घ्य का विशेष महत्व होता है।
कुंभ संक्रांति का शुभ मुहूर्त-
कुंभ संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त- 12 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 9 मिनट तक।
अवधि- 05 घंटे 34 मिनट।
कुंभ संक्रांति का महा पुण्य काल- शाम 04 बजकर 18 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक।
पुण्य काल की अवधि- 01 घंटा 51 मिनट।
कुंभ संक्रांति का समापन- रात 9 बजकर 27 मिनट पर।
यह भी पढ़ें: गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की साधना का विशेष महत्व, अघोरी आधी रात में करते है पूजा
कुंभ संक्रांति का महत्व-
शास्त्रों में कुंभ संक्रांति की महिमा वर्णित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ संक्रांति का महत्व पू्र्णिमा, अमावस्या और एकादशी तिथि से ज्यादा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें पापों से मुक्ति मिलती है। कुंभ संक्रांति के दिन दान का भी विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन दान करने से कई गुना ज्यादा पु्ण्य की प्राप्ति होती है।