वैसे तो ये पुरानी कहावत है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। लेकिन देश को सबसे अधिक प्रधानमंत्री देने वाले इस राज्य ने इस कहावत को कई दफा सच भी साबित करके दिखाया है। राष्ट्रपति चुनाव ने भी यूपी की राजनीति में आगामी लोकसभा चुनाव की पटकथा लिख दी है। कभी अच्छे लड़के वाली टैग लाइन के साथ कांग्रेस के राहुल को साथ लेकर यूपी को साथ पसंद है का नारा देने वाले अखिलेश प्रदेश के लोकसभा से लेकर विधानसभा तक के चुनावों में गठबंधन के अलग-अलग प्रयोग करते रहे। लेकिन सहयोगी सुभासपा के राजभर हो या फिर चाचा शिवपाल दोनों को ही साध कर साथ रखने में कामयाब नहीं हो पाए।
सपा विधायक शिवपाल ने तो विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नेताजी को लेकर दिए पुराने बयान का जिक्र कर अखिलेश यादव को ही बैकफुट पर ला दिया। वहीं कुछ गलतियां अखिलेश की तरफ से भी हुई जिसने सीएम योगी की राह और आसान कर दी। पहले तो चाचा से तकराप फिर विपक्ष के साझा उम्मीदवार की प्रेस वार्ता में अपने ही गठबंधन साथी ओपी राजभर को निमंत्रण न देना अखिलेश को भारी पड़ गया रही सही कसर योगी की डिनर डिप्लोमेसी ने पूरी कर दी। सीएम योगी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू के आगमन पर विपक्षी नेताओं को डिनर पर आमंत्रित कर बड़ी पहल की।
उत्तर प्रदेश विधान भवन स्थित तिलक हॉल में सोमवार को सुबह से राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान जारी है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान शाम पांच बजे तक चलेगा। इसी क्रम में एनडीए उम्मीदवार को समर्थन का दावा करने वाला सपा विधायक और मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल यादव के एक बार फिर से विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पुराने बयान को लेकर निशाना साधा है। शिवपाल यादव ने कहा कि नेताजी (मुलायम यादव) को आईएसआई एजेंट कहने वाले (विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा) हम उनका कभी समर्थन नहीं कर सकते। सपा के कट्टर नेता, नेताजी के सिद्धांतों का पालन करने वाले ऐसे आरोप लगाने वाले उम्मीदवार का कभी समर्थन नहीं करेंगे। इसी तर्ज पर अखिलेश से नाराज समाजवादी पार्टी (सपा) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर दी।
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बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपी में तीन मतदान केंद्र बनाए गए हैं और दिल्ली से आई दो मतपेटियों को आज, 18 जुलाई को ही मतदान पूरा होने के बाद वापस राष्ट्रीय राजधानी भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मतगणना 21 जुलाई को दिल्ली में होगी। राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश 403 विधायकों में से प्रत्येक के लिए 208 के उच्चतम वोट मूल्य के साथ एक महत्वपूर्ण राज्य होगा।