कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया था। शीर्षतम अदालत ने पहले तो कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी, इसके साथ ही किसानों और मोदी सरकार के बीच जारी गतिरोध को ख़त्म करने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी गठित की, लेकिन कोर्ट द्वारा गठित की कमेटी के इन चार सदस्यों में से एक भूपिंदर सिंह मान ने बड़ा फैसला लिया है।

कमेटी के सदस्य ने सुप्रीम कोर्ट को भेजा पत्र
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई कमेटी के सदस्य भूपिंदर मान ने अपना नाम कमेटी से वापस ले लिया है। इस परिपेक्ष्य में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करता हूं कि उसने मुझे चार सदस्यी कमेटी में किसान संगठनों से बात करने के लिए चुना। मैं खुद एक किसान हूं और एक यूनियन का लीडर हूं, ऐसे में मौजूदा स्थिति और भावनाओं को देखते हुए मैं खुद को इस कमेटी से अलग करता हूं जिससे कि पंजाब और किसानों के हितों से किसी भी तरह का कोई समझौता ना हो। मैं अपने पंजाब के किसानों के साथ हमेशा खड़ा रहूंगा।
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आपको बता दें कि किसानों और सरकार के बीच में कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को ख़त्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घन्वत, दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट की इस कमेटी पर किसानों ने जमकर ऐतराज जताया था। किसान नेताओं का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की गठिम कमेटी में जितने सदस्य हैं वे कृषि कानूनों के समर्थक हैं। वे कानून के समर्थन की सार्वजनिक वकालत कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे इस कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे। उनका आंदोलन जारी रहेगा और वे जमे रहेंगे। 26 जनवरी को शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा।
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