योगी सरकार द्वारा मदरसों का सर्वेक्षण कराएं जाने के फैसले पर सपा सांसद शफीकुर्र रहमान बर्क गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की पैरवी करने उतर गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को अमान्य मदरसो से एतराज है तो इन मदरसों का खर्च खुद वहन कर उसे संचालित करें. उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि मुस्लिमो की आबादी ज्यादा है और सरकारी मदरसों में जगह कम है इसलिए इन्हें चलाया जाता है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमो को इस्लामिक और दुनियावी तालीम के लिए प्राइवेट मदरसे जरूरी हैं.
सपा सांसद बर्क ने प्राइवेट मदरसा द्वारा बाहरी लोगों से चंदा जुटाए जाने को भी वाजिब बताया है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट मदरसों को सरकार से किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं मिलती, सरकार प्राइवेट मदरसों को आर्थिक मदद दे तो बाहरी लोगों से चंदा ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में मुसलमान परेशान है, मुस्लिमों में तालीम की बेहद कमी है सरकार मुस्लिमों की तालीम के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है.
ओवैसी ने भी आलोचना
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस मसले पर यूपी सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि यह कदम मुसलमानों को परेशान करने के लिए उठाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को इन मदरसों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि ये निजी मदरसे हैं और मदरसा बोर्ड के अनुसार मान्यता प्राप्त नहीं हैं. साथ ही ये सरकार से कोई सहायता प्राप्त नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि “…निजी मदरसों का न तो सरकार से कोई लेन-देन है और न ही सरकार उन्हें फंड मुहैया कराती है, मदरसा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों का सरकार से संबंध होता है…” उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार (अल्पसंख्यकों के पास) अपनी पसंद का शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का मौलिक अधिकार होता है.
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क्या है मामला
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने का ऐलान किया है. उनका तर्क है कि इसके जरिए टीचर्स की संख्या, सिलेबस और वहां उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी. अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि मदरसों में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में राज्य सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की आवश्यकता के अनुसार सर्वेक्षण करेगी.