एनसीपी प्रमुख और वरिष्ठ विपक्षी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा है कि अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा नियुक्त समिति यथोचित जांच कर रही है. उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) में अडानी समूह को निशाना बनाया गया. किसी ने बयान दिया और देश में हंगामा खड़ा कर दिया. पहले भी ऐसे बयान दिए गए, जिससे बवाल मचाा. हालांकि इस बार मुद्दे को जो महत्व दिया गया, वह जरूरत से कहीं ज्यादा था.’ शरद पवार ने आगे कहा, ‘यह सोचने की जरूरत है कि किसने मुद्दा उठाया. हमने बयान देने वाले का नाम तक नहीं सुना. बैकग्राउंड क्या है? जब देश में हंगामा खड़े करने वाले ऐसे मुद्दे उठाए जाते हैं, तो उसकी एक कीमत चुकानी पड़ती है. ऐसे मुद्दों का अर्थव्यवस्था (Economy) पर क्या असर पड़ता है, इसे समझने की जरूरत है. हम देश से जुड़ी ऐसी बातों को नजरअंदाज नहीं कर सकते. इस लिहाज से ऐसा लगता है हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अडानी (Adani) समूह को निशाना बनाया गया.’
कांग्रेस ने दी सधी प्रतिक्रिया
हालांकि शरद पवार से कांग्रेस (Congress) पार्टी ने इत्तेफाक नहीं रख प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 19 राजनीतिक दल अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट को वास्तविक मानते हैं. ऐसे में यह एक मुद्दा है, जिसकी जांच होनी चाहिए. जाहिर है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार का बयान कांग्रेस के पक्ष से बिल्कुल अलग है. कांग्रेस पार्टी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आधार पर अडानी की संयुक्त संसदीय समिति जांच पर जोर दे रही है. इसी फेर में लोकसभा का बजट सत्र भी बुरी तरह से प्रभावित रहा है. कांग्रेस के साथ कुछ अन्य विपक्षी दलों ने भी अडानी पर जेपीसी जांच की मांग का समर्थन किया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार का तर्क है कि अडानी मामले की जांच की मांग उठाई गई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पहल की और एक समिति नियुक्त की जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, विशेषज्ञों, प्रशासकों और अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया है. यही नहीं, शरद पवार ने कहा कि समिति को दिशा-निर्देश दिए गए हैं. उसे एक समय सीमा के अंदर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मामले की जांच के लिए एक संसदीय समिति का गठन चाहता है. शरद पवार यह कहने से भी नहीं चूके कि बीजेपी के पास संसद में बहुमत है.
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सुप्रीम कोईट द्वारा गठित समिति दो महीने में देगी जांच रिपोर्ट
एक निजी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में शरद पवार ने कहा, ‘आज संसद में किसके पास बहुमत है, सत्ता पक्ष के पास. जेपीसी जांच की मांग सत्ता पक्ष के खिलाफ थी. सत्ता पक्ष के खिलाफ जांच करने वाली समिति में सत्ता पक्ष के ही ज्यादा सदस्य होंगे. ऐसे में सच्चाई कैसे सामने आएगी, जिसे लेकर आशंकाएं हो सकती हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच करता है, जहां कोई प्रभाव नहीं है, तो सच्चाई सामने आने की बेहतर संभावना है. अब जब एक बार सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक समिति की घोषणा कर दी है, तो जेपीसी जांच की कोई आवश्यकता नहीं है.’ गौरतलब है कि बजट सत्र के दूसरे चरण में हिंडनबर्ग-अडानी की जांच के लिए जेपीसी की मांग पर लगातार हंगामा देखा गया. यह तब है जब सुप्रीम कोर्ट मामले की तह तक जाने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन कर चुका है. इस समिति को पूरे मामले में दो महीने में अपनी जांच रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करनी है.