पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने बीजेपी के विरोध में तैयार किए जा रहे मोर्चा को झटका दिया है। उन्होंने मोर्चा (Anti BJP Morcha) का नेतृत्व करने से इनकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने यूपीए का अध्यक्ष (UPA Chairman) पद स्वीकार करने में भी अनिच्छा जताई है। मराठा क्षत्रप ने कहा कि वह भाजपा विरोधी मोर्चे का नेतृत्व नहीं करेंगे और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के अध्यक्ष बनने के इच्छुक भी नहीं हैं।
बीजेपी के विकल्प के रूप में कांग्रेस आज भी प्रासंगिक
पवार ने यह भी कहा कि केंद्र में भाजपा को विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से कांग्रेस को किसी भी पहल से बाहर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह भाजपा के खिलाफ विभिन्न दलों के किसी भी मोर्चे का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी नहीं लेने जा रहे। न ही वह कांग्रेस द्वारा संचालित यूपीए का नेतृत्व करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “हाल ही में, हमारी पार्टी (राकांपा) के कुछ युवा कार्यकर्ताओं ने एक प्रस्ताव पारित कर मुझे यूपीए का अध्यक्ष बनने के लिए कहा। लेकिन मुझे उस पद में जरा भी दिलचस्पी नहीं है। मैं इसमें नहीं पड़ने वाला। मैं वह जिम्मेदारी नहीं लूंगा।’
बीजेपी का विकल्प तैयार होता है तो साथ देने को तैयार
पवार ने कहा कि अगर (भाजपा का) कोई विकल्प मुहैया कराने की कोशिश की जाती है तो मैं इस तरह के गुट को सहयोग, समर्थन और मजबूत करने के लिए तैयार हूं।
शरद पवार ने कहा कि जब यह कहा जाता है कि विपक्ष को एक साथ आना चाहिए तो कुछ तथ्यों की उपेक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। ममता बनर्जी की टीएमसी पश्चिम बंगाल में सबसे मजबूत पार्टी है और उन्हें लोगों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही क्षेत्रीय दल भी अपने-अपने राज्यों में मजबूत हैं।’
कांग्रेस की अभी भी संपूर्ण भारत में उपस्थिति
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अखिल भारतीय उपस्थिति है, भले ही ग्रैंड ओल्ड पार्टी वर्तमान में सत्ता में नहीं है। देश के हर गांव, जिले और राज्य में आपको कांग्रेस के कार्यकर्ता मिल जाएंगे। वास्तविकता यह है कि कांग्रेस, जिसकी व्यापक उपस्थिति है, को (भाजपा को) एक विकल्प प्रदान करते हुए बोर्ड में शामिल किया जाना चाहिए। भाजपा नेता नितिन गडकरी के इस बयान पर कि कांग्रेस को मजबूत होने की जरूरत है, पवार ने स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्षी दल की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘अगर एक ही पार्टी मजबूत होती है तो वह (रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर) पुतिन जैसी हो जाएगी। उन्होंने और चीनी राष्ट्रपति ने अपने देशों को जीवित रहने तक नेतृत्व करने का संकल्प लिया है। मुझे उम्मीद है कि भारत में ऐसे पुतिन नहीं होने चाहिए।
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भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पवार ने कहा कि आरोप लगाए गए थे कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का इस्तेमाल जबरन वसूली के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘छापे से पहले और बाद में सुलह (ईडी अधिकारियों के साथ) के बारे में बातचीत चल रही है। अगर यह सच है और सरकार एजेंसी पर लगाम नहीं लगा रही है, तो केंद्र को जवाब देना चाहिए कि क्या वे भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
पवार ने कहा कि देश में महंगाई एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासन में हर दूसरे दिन ईंधन की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं, जो न केवल आम लोगों के वित्त को प्रभावित कर रही है, बल्कि मूल्य वृद्धि और परिवहन की उच्च लागत में भी योगदान दे रही है।