कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष के चयन के लिए सर्वसम्मति का रविवार को समर्थन किया और कहा कि राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष हों या नहीं हों, उनका पार्टी में हमेशा ‘‘विशेष स्थान’’ रहेगा क्योंकि पार्टी के आम कार्यकर्ताओं में उनकी ‘‘स्वीकार्यता’’ है। पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने एआईसीसी प्रमुख के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने से कुछ दिन पहले कहा कि अभी तक राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है, लेकिन उनका विचार संभवत: बदल जाए।
कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य चिदंबरम ने साक्षात्कार में कहा कि पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर किसी भी विवाद की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री यदि कुछ नेताओं की चिंताओं पर पहले दिन ही बयान दे देते, तो मामला तभी सुलझ जाता। उन्होंने कहा कि कोई दल निर्वाचक मंडल की सूची प्रकाशित नहीं करता। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी)-वार मतदाता सूची संबंधित पीसीसी के कार्यालय में निरीक्षण के लिए उपलब्ध रहेगी, जबकि अखिल भारतीय मतदाता सूची एआईसीसी के कार्यालय में निरीक्षण के लिए उपलब्ध रहेगी।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘नामांकन करने वाला प्रत्येक उम्मीदवार मतदाता सूची की एक प्रति पाने का हकदार होगा। मिस्त्री ने इन स्वत: स्पष्ट बिंदुओं को और स्पष्ट कर दिया है तथा सांसदों ने कहा है कि वे संतुष्ट हैं। मामला शांत हो गया है।’’ लोकसभा सदस्यों शशि थरूर, मनीष तिवारी, प्रद्युत बारदोलोई, कार्ति चिदंबरम और अब्दुल खालिक ने मिस्त्री को पत्र लिखकर पीसीसी निर्णायक मंडल (डेलीगेट) की सूची उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। इसके बाद मिस्त्री ने इन सांसदों से कहा था कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने को इच्छुक व्यक्ति निर्वाचन मंडल के 9,000 से अधिक सदस्यों की सूची एआईसीसी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण कार्यालय में 20 सितंबर से देख सकेंगे।
पी. चिदंबरम ने सवाल किया कि जब भाजपा एवं किसी अन्य दल ने अपने पार्टी चुनाव कराए, तो क्या तब भी मीडिया ने इस प्रकार के सवाल किए थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं याद कि जे पी नड्डा ने मतदाता सूची मांगी हो या नामांकन दाखिल किया हो।’’ यह पूछे जाने पर कि सर्वसम्मति या चुनाव में से एआईसीसी के अध्यक्ष के पद के लिए क्या बेहतर रहेगा, चिदंबरम ने कहा कि हालांकि चुनाव स्वाभाविक विकल्प है, ‘‘बेहतर मार्ग सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन करना है और सभी दल इसका पालन करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि मेरी याददाश्त ठीक है, तो नड्डा और उनसे पहले अमित शाह, राजनाथ सिंह और गडकरी, सभी सर्वसम्मति से चुने गए थे।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के आग्रह पर विचार करेंगे, चिदंबरम ने कहा कि उन्हें इस प्रश्न का उत्तर नहीं पता।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘राहुल गांधी पार्टी के आम कार्यकर्ताओं के स्वीकार्य नेता हैं। वे भी उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। अभी तक उन्होंने इनकार किया है। उनका विचार संभवत: बदल जाए।’’ यह पूछे जाने पर कि यदि किसी अन्य को अध्यक्ष चुना जाता है, तो भी क्या गांधी परिवार का कांग्रेस में अहम स्थान बना रहेगा, चिदंबरम ने कांग्रेस के इतिहास का जिक्र किया और कहा कि 1921 से 1948 तक महात्मा गांधी कांग्रेस के स्वीकार्य नेता थे और उनके बाद जवाहरलाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी, एक के बाद एक पार्टी के स्वीकार्य नेता थे। उन्होंने कहा, ‘‘ ‘नेता’ के अलावा भी पार्टी के अन्य लोगों ने एक या दो या तीन साल के लिए अध्यक्ष पद संभाला। कांग्रेस के इतिहास में ऐसा भी समय आया, जब ‘नेता’ और अध्यक्ष एक ही व्यक्ति था, ऐसा भी लंबा समय था, जब ‘नेता’ एवं अध्यक्ष अलग-अलग व्यक्ति थे।’’ राज्यसभा के सदस्य चिदंबरम ने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना जाता है, तो वह ‘नेता’ एवं अध्यक्ष दोनों होंगे और यदि ऐसा नहीं होता है, तो भी वह पार्टी के स्वीकार्य नेता बने रहेंगे और कोई अन्य व्यक्ति अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालेगा।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘राहुल गांधी का पार्टी में हमेशा एक विशेष स्थान रहेगा।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या गांधी परिवार से संबंध नहीं रखने वाले व्यक्ति को भी वही सम्मान एवं अधिकार मिलेगा, चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय की महान परंपरा एवं इतिहास रहा है और उसके पास कई शक्तियां एवं जिम्मेदारियां हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि जो कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाएगा, वह बेहतरीन प्रदर्शन करेगा और पार्टी के आम कार्यकर्ताओं एवं नेताओं का सम्मान हासिल करेगा।’’ कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए अधिसूचना 22 सितंबर को जारी होगी और नामांकन 24-30 सितंबर तक भरे जा सकेंगे। नाम वापस लेने की आखिरी तारीख आठ अक्टूबर है।
अगर जरूरत पड़ी तो चुनाव 17 अक्टूबर को होगा और नतीजा 19 अक्टूबर को आएगा। कन्याकुमारी से सात सितंबर को शुरू हुई पार्टी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बारे में चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने यात्रा के शुरुआती दो दिन में तमिलनाडु में जो देखा और केरल में जो उनके सहयोगियों ने बताया, उसके अनुसार, बड़ी संख्या में निष्क्रिय कांग्रेस सदस्य एवं समर्थक अपने घरों से बाहर निकले और छोटी या लंबी दूरी के लिए पदयात्रा में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि सैकड़ों लोग सड़क किनारे खड़े हुए और उन्होंने राहुल गांधी एवं यात्रियों का स्वागत किया और उनका हौसला बढ़ाया। चिदंबरम ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि हाथी जाग गया है। हजारों लोग पुराना, किंतु नया संदेश सुन रहे हैं: कि इस देश को घृणा, क्रोध या सांप्रदायिक संघर्ष से विभाजित होने की अनुमति नहीं दी जा सकती, प्यार, सहिष्णुता और बंधुत्व देश के लोगों को एकजुट करेगा, और यह कि ऐसी एकता ही आर्थिक और सामाजिक प्रगति का आधार बन सकती है।’’
यूपी विधानसत्र से पहले संग्राम, सपा विधायकों का पैदल मार्च, अखिलेश सड़क पर दिया धरना
उन्होंने कहा कि यह संदेश उन विभाजनकारी और नफरत भरे संदेशों से बहुत अलग है जो हमने पिछले सात साल में सुने हैं। चिदंबरम ने सौ साल पहले तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती द्वारा लिखी गई एक कविता की पंक्तियों का जिक्र किया, जिनका अनुवाद है, ‘‘ताकि यह देश एकजुट होकर उठे, एक महान कार्य करने के लिए आगे आओ, आओ, आओ।’’ उन्होंने कहा कि यह संदेश पूरे देश में गूंज रहा है और यह कांग्रेस में निश्चित ही नई जान फूंकेगा और उसमें फिर से जोश भरेगा। यात्रा को लेकर भाजपा की आलोचना पर चिदंबरम ने कहा कि यात्रा को जिस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है, सत्तारूढ़ दल उसके लिए तैयार नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता गलत सूचना, झूठ, मजाक उड़ाने और अपशब्दों का सहारा ले रहे हैं।