लखनऊ में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक अदालत ने भारतीय सेना की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) को कथित रूप से देने के मामले में दो व्यक्तियों को छह साल के कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने ठहराया दोषी
विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने चंदौली निवासी राशिद अहमद और गुजरात के पश्चिमी कच्छ के रजक भाई कुंभार को दोषी ठहराया है।
उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जनवरी 2020 में राशिद अहमद को वाराणसी से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसे पूछताछ के लिए लखनऊ स्थित एटीएस मुख्यालय ले जाया गया था। उसके मोबाइल फोन से पाकिस्तानी फोन नंबर और गोपनीय तस्वीरें बरामद हुई थीं।
मौसी के घर गया था आरोपी
इस दौरान राशिद ने बताया कि वह आईएसआई के लिए काम करता था और पोस्टर-बैनर लगाकर अपना गुजारा करता था। 2018 में वह कराची में अपनी मौसी से मिलने गया था, जहां वह आईएसआई एजेंटों के संपर्क में आया। वापस लौटने के बाद उसने भारत के महत्वपूर्ण स्थानों, सेना के प्रतिष्ठानों और सैन्य ठिकानों की तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया।
एटीएस ने राशिद के पास से एक मोबाइल फोन भी बरामद किया है, जिससे पता चला है कि उसने दो सिम कार्ड खरीदे थे, जिनके जरिए पाकिस्तान से व्हाट्सएप चलाया जा रहा था। राशिद ने इन दो नंबरों पर व्हाट्सएप शुरू करने के लिए अपने पाकिस्तान स्थित आईएसआई आकाओं को ओटीपी भेजे थे, जिसके बाद इन नंबरों का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा रहा था।
यूपी एटीएस के कांस्टेबल रितेश कुमार सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके मुताबिक चंदौली निवासी राशिद आईएसआई के संपर्क में था और सेना से जुड़ी संवेदनशील और गोपनीय सूचनाएं तथा सुरक्षा बलों की गतिविधियों की तस्वीरें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को भेज रहा था।
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र के चुनावी दंगल में ताल ठोकते नजर आएंगे एक्स सीएम के बेटे, शिवसेना ने हुए शामिल
इसके अलावा गुजरात के पश्चिमी कच्छ के रहने वाले रजक भाई कुंभार को भी एनआईए कोर्ट ने इसी तरह के आरोपों में दोषी ठहराया है। रजक पर राशिद और पाकिस्तान में बैठे दूसरे एजेंटों के साथ मिलकर भारतीय सेना की जानकारी साझा करने की साजिश रचने का आरोप है।