जम्मू-कश्मीर में सत्ता पर काबिज होते ही अब्दुल्ला सरकार की पहली बैठक सवालों के घेरे में घिरती नजर आ रही है। दरअसल, पहली कैबिनेट बैठक के बाद अब्दुल्ला सरकार पर अनुच्छेद 370 और 35ए की अनदेखी करने का आरोप लग रहा है। इस आरोप को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने अब्दुल्ला सरकार को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है।
दरअसल, बीते दिनों हुई अब्दुल्ला सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री और कैबिनेट में शामिल मंत्रियों ने संयुक्त रूप से उस प्रस्ताव को मंजूरी दी है जिसमें केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर को पूर्ण दर्जा देने की मांग की गई है। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर वह खुद प्रधानमंत्री तक जाएंगे।
हालांकि इस बैठक में अनुच्छेद 370 और 35ए की अनदेखी के आरोपों को लेकर सियासी हंगामा मचा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के सांसद और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के नेता इंजीनियर अब्दुल रशीद शेख ने उमर अब्दुल्ला को बीजेपी के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया है।
अब्दुल रशीद शेख ने यह भी दावा किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) को सरकार के फैसले से पहले ही अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बारे में पता था और भाजपा के पूर्ण समर्थन के कारण ही एनसी ने विधानसभा चुनावों में अधिकांश सीटें जीतीं।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंजीनियर राशिद ने आरोप लगाया कि जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनावों के दौरान एनसी को सामरिक समर्थन मिला, जिससे उसे 42 सीटें हासिल हुईं।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि एनसी और भाजपा पर्दे के पीछे मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जो एनसी की लंबे समय से चली आ रही स्थिति और अभियान के वादे के विपरीत है।
रशीद ने कहा कि एनसी अनुच्छेद 370 और संबंधित मुद्दों के लिए लड़ाई का वादा कर रही है, लेकिन उमर अब केवल राज्य का दर्जा बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करके इन प्रमुख मामलों से भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही राज्य का दर्जा देने का वादा कर चुके हैं।
उन्होंने उमर अब्दुल्ला पर अपने दादा शेख अब्दुल्ला के नक्शेकदम पर चलने का आरोप लगाया और उन पर जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात करने का भी आरोप लगाया।
रशीद ने सवाल उठाया और कहा कि उमर ने अपना ध्यान पूरी तरह से राज्य के दर्जे पर केंद्रित कर लिया है और हाल ही में दावा किया है कि केंद्र में गैर-भाजपा सरकार आने पर अनुच्छेद 370 को बहाल कर दिया जाएगा। मैं उनसे पूछना चाहता हूं: क्या कश्मीरियों को 100 साल तक इंतजार करना चाहिए, अगर तब तक भाजपा सत्ता में रहती है? उमर भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं।
यह भी पढ़ें: कांग्रेस विधायक ने भगवान शिव को लेकर की अपमानजनक टिप्पणी, मामला दर्ज
उन्होंने यह भी कहा कि उमर को मुख्यमंत्री का पद संभालते समय दुख प्रकट करना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय वह इतने प्रसन्न दिखे कि उन्होंने टूटी कुर्सी संभालने का जश्न मनाने के लिए एक ही दिन में तीन बार अपनी पोशाक बदली।