रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) कर्मियों को वीरता और मेधावी सेवा पदक प्रदान किए। समारोह के दौरान तीन राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (प्रतिष्ठित सेवा) सहित कुल 21 पुरस्कार दिए गए। इसमें आठ तटरक्षक पदक वीरता और 10 तटरक्षक पदक मेधावी सेवा के हैं। यह पदक आईसीजी के अनुकरणीय साहस और विषम परिस्थितियों में कर्मियों की वीरता के कार्यों के लिए दिए गए हैं। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने, हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री शांति बनाए रखने, अंतरराष्ट्रीय समुद्री एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने में सबसे आगे रहने के लिए आईसीजी की भूमिका को सराहा।
राजनाथ सिंह ने कहा- भारत एक उभरती हुई समुद्री शक्ति
अलंकरण समारोह के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 38वें तटरक्षक कमांडरों के सम्मेलन को भी संबोधित किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन पुरस्कारों और पदकों से न केवल पुरस्कार विजेताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि आईसीजी के अन्य कर्मियों को भी राष्ट्र के हितों की रक्षा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने समुद्री सीमाओं की सुरक्षा बनाए रखने और देश की विशाल तटरेखा को सुरक्षित रखने में आईसीजी के प्रयासों की सराहना की। तटरक्षक बल के जवानों की ऊर्जा और समर्पण की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आईसीजी ने केवल 4-6 नावों के साथ राष्ट्र के लिए अपनी सेवा शुरू की थी लेकिन अब 150 से अधिक जहाजों और 66 विमानों के साथ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ समुद्री सेनाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि आईसीजी का लगातार बढ़ता कद लोगों में यह विश्वास जगाता है कि राष्ट्रीय समुद्री हित सुरक्षित निगरानी में हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति, साहित्य, व्यापार और अर्थव्यवस्था का समुद्र से गहरा संबंध है। समृद्धि की संभावनाओं के साथ-साथ समुद्री सेना ने भी विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के सरकार के संकल्प को दोहराते हुए इसे व्यापक आंतरिक और बाहरी सुरक्षा ढांचे का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया। उन्होंने कहा कि भारत के समुद्री क्षेत्र सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त होने चाहिए। इससे हमारी सुरक्षा जरूरतें पूरी होने के साथ ही पर्यावरणीय स्वास्थ्य और आर्थिक विकास भी होगा। रक्षा मंत्री ने ‘निर्बाध समुद्री गतिविधि’ को तीव्र विकास के पथ पर आगे बढ़ने की आवश्यकता बताया। रक्षा मंत्री ने हाल ही में आए चक्रवात ‘ताउते’ और ‘यास’ के दौरान बहुमूल्य जीवन बचाने में आईसीजी की सराहनीय भूमिका को याद किया।
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राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत एक उभरती हुई समुद्री शक्ति है और इसकी समृद्धि काफी हद तक समुद्र पर निर्भर है। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने, हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री शांति बनाए रखने, अंतरराष्ट्रीय समुद्री एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने में सबसे आगे रहने के लिए आईसीजी की भूमिका को सराहा। उन्होंने आईसीजी के सागर रक्षा- I और सागर रक्षा- II ऑपरेशन का भी उल्लेख किया जिसमें आईसीजी ने बड़े कच्चे तेल वाहक ‘न्यू डायमंड’ और जहाज ‘एक्सप्रेस पर्ल’ में लगी आग को बुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आईसीजी के इन साहसी कार्यों ने आईओआर में बड़ी तबाही को टालने के साथ ही भारत को एक जिम्मेदार और सक्षम समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित किया। इस अवसर पर महानिदेशक आईसीजी के. नटराजन, रक्षा मंत्रालय और भारतीय तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।