जयपुर में रविवार आधी रात को बड़ा घटनाक्रम चला। राजस्थान सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निगम की सदस्यता से निलम्बित कर दिया।राज्य सरकार ने नगर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ भाजपा ग्रेटर मुख्यालय में हुई मारपीट के मामले में स्वायत्त शासन विभाग ने महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निलंबित करने का इतना बड़ा फैसला लिया है। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। राज्य सरकार के इस कदम को शहरी सरकार में तख्तापलट की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है। ऐसी तरह-तरह की खबरों को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
महापौर का निलंबन राजस्थान के इतिहास की पहली घटना
राजस्थान के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी महापौर को निलंबित किया गया हो। राज्य सरकार ने नगर निगम आयुक्त से मारपीट मामले में महापौर सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में नगर निगम आयुक्त के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल और राजकार्य में बाधा के साथ ही उनकी सहमति से आयुक्त के साथ धक्का-मुक्की की जांच उपनिदेशक क्षेत्रीय, स्थानीय निकाय की ओर से करवाई गई, जिसमें सौम्या गुर्जर दोषी पाई गई। इस पर राज्य सरकार ने उनके खिलाफ न्यायिक जांच करने का बड़ा फैसला लिया है। साथ ही उनके महापौर पद पर रहने से जांच प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए उन्हें महापौर व सदस्य वार्ड 87 के पद से निलंबित करती है।
इन पार्षदों पर भी गिरी गाज
महापौर सौम्या गुर्जर के अलावा तीन पार्षद को भी निलंबित किया गया है। जिनमें पार्षद और चेयरमैन पारस जैन, पार्षद अजय सिंह चैहान और पार्षद शंकर शर्मा को भी निलंबित किया गया है। इन तीनों को आयुक्त के साथ मारपीट, धक्का-मुक्की और अभद्र भाषा का बोलने को लेकर कार्रवाई की गई है।
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6 साल तक पुर्नर्निवाचन पर लग सकती है रोक
जिस दसस्य को धारा 39 की उपधारा (1) के खण्ड (घ) के अधीन हटा दिया हो, वह 6 साल तक पुनर्निर्वाचन के लिए योग्य नहीं माना जायेगा।