प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को अन्य तीन सदस्यों के साथ कार्यकाल समाप्ति के बाद विदाई देते हुए भावुक हो उठे। उन्होंने एक वाकया याद करते हुए गुलाम नबी आजाद की कर्तव्य निष्ठा और मानवीय संवेदनाओं को सलाम किया।
प्रधानमंत्री ने सुनाया पुराना किस्सा
राज्यसभा से मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के चार सदस्य गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज और नजीर अहमद का कार्यकाल समाप्त हो गया। इस अवसर पर अपने विदाई संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अपने अनुभव और विचारों से उन्हें आने वाले समय में भी सहयोग देते रहेंगे, ऐसी वह कामना करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में गुलाम नबी आजाद का जिक्र करते हुए अचानक भावुक हो उठे। उस समय वह जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें गुजरात के कुछ लोगों भी हताहत हुए थे। प्रधानमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री रहते हुए आजाद जी ने उन्हें फोन किया और इस दौरान उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। उनके उस दौरान दिखाए गए जज्बे और मानवीय पहलू को देखकर वह उन्हें सलाम करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पद और सत्ता जीवन में आती-जाती रहती है लेकिन उसे कैसे पचाना है…( उन्होंने हाथ से सालाम किया)।
प्रधानमंत्री ने एक और वाकया याद किया और बताया कि संसद में एकबार उनके साथ आजाद जी ने पत्रकारों को कहा था कि हम सब एक परिवार की तरह हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी ही सलाह पर कोरोना काल में उन्होंने सभी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आने वाले ये चार नेता अपने कार्यकाल के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के भी साक्षी बने हैं।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चारों सदस्यों की सदन की शोभा बढ़ाने, उसे जीवंत बनाने और यहां रहकर समाज सेवा में योगदान करने के लिए वह सभी का धन्यवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि मीर मोहम्मद फैयाज और नजीर अहमद ने कई बार उन्हें कश्मीर की वास्तविक स्थिति और समस्याओं से अवगत कराया है। वहीं शमशेर सिंह के साथ उनका पुराना नाता रहा है और वह उनके साथ कार्यकर्ता रहते हुए स्कूटर पर भी घूमे हैं।