शहाबुद्दीन की सियासी विरासत बांटने की तैयारी! पटना में पत्नी करवा रहीं हैं इलाज…

बिहार के सीवान जिले में तिहाड़ जेल में बंद RJD के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की कोरोना से मौत के बाद जो नुकसान ओसामा को हुआ उसकी भरपाई नामुमकिन है। लेकिन जो सियासी विरासत उसे हासिल हुई है उसे संभालना बड़ी चुनौती है। दिल्ली में जब उनका इलाज चल रहा था उस समय उनकी ही पार्टी का कोई बड़ा नेता उन्हें देखने नहीं गया था। उनके अंतिम संस्कार के समय भी कोई नहीं पहुंचा था। निधन के बाद शहाबुद्दीन के घर पर उनकी पार्टी RJD समेत JDU और अन्य पार्टी के नेताओं ने भी जाकर मुलाकात की। बता दें कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव ओसामा से मुलाकात कर चुके हैं।

दरअसल, शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब पटना के एक बड़े अस्पताल में अपना इलाज करा रही हैं तब उनका हालचाल पूछने के बहाने राजनीति भी बटोरी जा रही है। हिना शहाब, पति शहाबुद्दीन के निधन के बाद से मानसिक अवसाद से ग्रस्त हैं। इसके साथ ही उन्हें पेट से जुड़ी बीमारी और घुटने में दर्द का इलाज भी राजधानी पटना में चलता रहा है। शहाबुद्दीन के बाद उनकी विरासत संभालने का दबाव उनके बेटे ओसामा पर ही है। वह अपने पिता मोहम्मद शहाबुद्दीन की याद में 100 बेड का हॉस्पिटल भी बनवाना चाहते हैं। जिसके लिए उन्होंने पिछले दिनों सीवान इंजीनियरिंग कॉलेज के पास जमीन भी देखी है।

ओसामा के सामने हैं कई चुनौतियां

इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों में इस बात पर काफी नाराजगी हैं कि खराब समय में उनकी पार्टी ने ठीक से साथ तक नहीं दिया। इस गुस्से के चलते कई नेताओं ने पार्टी भी छोड़ दी थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है। ओसामा का झुकाव भी RJD के प्रति नजर आ रहा है। दूसरी ओर सीवान में शाहबुद्दीन के कट्टर दुश्मन माने जाने वाले खान ब्रदर्स की मजबूती बढ़ रही है। इस दौरान रईस खां लोगों से मिल रहे हैं और सियासत मे पकड़ मजबूत करने के लिए माहौल बना रहे हैं। गौरतलब है कि हिना शहाब 2009, 2014 और 2019 में तीन बार चुनाव हार चुकी हैं।

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सीवान की राजनीति में खान ब्रदर्स की बढ़ रही मजबूती

हालांकि ओसामा के सामने अभी काफी चुनौती है कि कैसे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को मजबूती दें। सीवान की राजनीति में खान ब्रदर्स अब अपनी ताकत दिखाने में लगे हैं कि उनकी ताकत बढ़ रही है। ओसामा को भी अपने लेवल पर अपनी राजनीतिक स्तर पर मजबूत पकड़ बनानी होगी। पहला ये हैं कि शहाबुद्दीन का एक समाजसेवी वाला चेहरा था और दूसरा राजनीतिक नेता वाला। इस दोनों के बीच उस ताकत को भी संभालने की जरूरत है जिसकी वजह से कई अपराधी भी शहाबुद्दीन से डरते थे।