महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने चेतावनी दी है कि महाराष्ट्र की मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर तीन मई तक बंद हो जाने चाहिए, नहीं तो मनसे कार्यकर्ता लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। ठाकरे के इस बयान के बाद देशभर में लाउडस्पीकर को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है।
लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब मस्जिद के लाउडस्पीकर और उसके जरिए अजान के प्रसार को लेकर विवाद हुआ हो। इसके पहले भी देश में कई बार लाउडस्पीकर से अजान पर संग्राम हो चुका है। मामला कोर्ट भी पहुंचा था।
आइए सिलसिलेवार जानते हैं कि लाउडस्पीकर को लेकर कब-कब विवाद हुआ और इसपर कोर्ट का क्या कहना था?
पहले जान लीजिए राज ठाकरे ने क्या कहा?
मनसे प्रमुख राज ठाकरे एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मस्जिदों में लाउडस्पीकर तीन मई तक बंद हो जाना चाहिए, नहीं तो हम लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। यह एक सामाजिक मुद्दा है, धार्मिक नहीं। मैं राज्य सरकार से कहना चाहता हूं, हम इस विषय पर पीछे नहीं हटेंगे, आपको जो करना है कीजिए।’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुंबई के मुस्लिम इलाकों में मस्जिदों पर छापा मारने की भी अपील की और कहा कि वहां रहने वाले लोग पाकिस्तान समर्थक हैं।
सोनू निगम ने उठाया था मामला
17 अप्रैल 2017 का मामला है। मशहूर गायक सोनू निगम ने तड़के सुबह 5:25 मिनट पर एक के बाद एक चार ट्वीट किए। चंद घंटों में इसी ट्वीट ने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया। सोनू ने लिखा, ‘भगवान सबका ख्याल रखे। मैं मुसलमान नहीं हूं, लेकिन मुझे अजान की आवाज से उठना पड़ता है। ये थोपी हुई धार्मिकता भारत में कब खत्म होगी? और वैसे जब मोहम्मद ने इस्लाम बनाया था तब बिजली थी ही नहीं। एडिसन के बाद मुझे ये कर्कश आवाज क्यों सुननी पड़ती है? मैं ऐसे किसी भी मंदिर या गुरुद्वारे में यकीन नहीं रखता तो धर्म में यकीन न रखने वाले लोगों को जगाने के लिए बिजली का इस्तेमाल करता हो। फिर क्यों? ईमानदार? सच्चा? गुंडागर्दी है बस।’
मतलब साफ-साफ कहें तो सोनू मस्जिद के लाउडस्पीकर से होने वाले अजान से परेशान थे। इस ट्वीट ने पहली बार लाउडस्पीकर से अजान को लेकर देश में चर्चा छेड़ दी। कई लोगों ने सोनू का समर्थन किया तो कई लोगों ने विरोध किया। सोनू के खिलाफ सिर मुंडवाने का फतवा भी जारी हुआ था।
मुद्दा हाईकोर्ट भी पहुंचा, जानिए कोर्ट ने क्या कहा?
अजान को लेकर गायक सोनू निगम के दिए बयान के खिलाफ हरियाणा के सोनिपत जिले के रहने वाले आस मोहम्मद ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।
इस पर कोर्ट ने कहा था, ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि अजान इस्लाम का आंतरिक हिस्सा है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इसे लाउडस्पीकर के जरिए दिया जाए।’ जस्टिस एएस बेदी की बेंच ने सोनू निगम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए था, ‘यह याचिका सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की गई है। उन्होंने (सोनू निगम) ‘गुंडागर्दी’ शब्द का इस्तेमाल अजान के लिए नहीं बल्कि लाउडस्पीकर के लिए किया था।
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इविवि की कुलपति भी उठा चुकी हैं मुद्दा
17 मार्च 2021 की बात है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव का एक पत्र अचानक चर्चा में आ गया। प्रो.संगीता के पति जस्टिस विक्रमनाथ श्रीवास्तव उस वक्त गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे।
प्रो. संगीता प्रयागराज के सबसे पॉश इलाके सिविल लाइंस में रहती हैं। प्रो. संगीता ने जिला प्रशासन को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने बताया था कि उनके घर के करीब एक मस्जिद से आने वाली अजान की तेज आवाज उन्हें ठीक से सोने नहीं देती।
कुलपति लिखा था, ‘प्रतिदिन सुबह 5.30 बजे के असपास उनके घर के निकट स्थित मस्जिद से आने वाली अजान की तेज आवाज से उनकी नींद खराब हो जाती है। यहां तक की रमजान में सुबह चार बजे सहरी की घोषणा की जाती है। इसके कारण भी आसपास के लोगों को समस्या होती है। कुलपति ने डीएम से जल्द कार्रवाई की अपेक्षा की ताकि अजान की तेज आवाज से परेशान लोगों को राहत मिल सके। हालांकि, प्रो. संगीता ने अपनी चिट्ठी में यह भी स्पष्ट किया था कि वह किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय के खिलाफ नहीं हैं।