पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व वाले नए अमेरिकी प्रशासन से ‘बदले हुए’ पाकिस्तान और भारत के साथ जुड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि पिछले चार वर्षो में बहुत कुछ बदल गया है। उन्होंने कहा कि इन चार वर्षो में क्षेत्र बदल गया है और पाकिस्तान बदल गया है और आपको (बाइडेन) इस पाकिस्तान के साथ जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि भारत बदल गया है। क्या यह वही उज्जवलित और धर्मनिरपेक्ष भारत है? नहीं।
पाकिस्तान ने उठाए भारत के अंदरूनी मामले
कुरैशी ने कहा कि भारत के भीतर से उभर रहे स्वर इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि यह अब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं है। यह हिंदुत्व का एक नया चेहरा है, जो आरएसएस की सोच का एक नया व्यावहारिक प्रदर्शन है। भारत में अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कुरैशी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान नए अमेरिकी प्रशासन से नए दृष्टिकोण और नए दिशानिर्देश के साथ जुड़ने की उम्मीद करता है। उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने आने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकेन को एक पत्र लिखा है और उन्हें भविष्य के लिए पाकिस्तान की प्रगति और वर्तमान नीतियों की समानांतर श्रेणी के बारे में अपडेट किया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमने भू-रणनीतिक स्थिति से लेकर भू-आर्थिक स्थिति तक बहुत बड़ा बदलाव किया है। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि पाकिस्तान तालिबान और अफगान सरकार के बीच चल रही अंतर-अफगान वार्ता में अहम भूमिका निभा रहा है, जिसने दूसरे चरण में प्रवेश किया है।
पाकिस्तान की भूमिका समग्र अफगान शांति और सुलह प्रक्रिया में भी प्रासंगिक बनी हुई है, क्योंकि पिछले अमेरिकी प्रशासन के प्रमुख और तालिबान वार्ता टीमों के प्रमुखों ने इस्लामाबाद का दौरा किया है, ताकि अफगान शांति की दिशा में आगे की राह पर चर्चा की जा सके।
पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान में शांति सीधे पाकिस्तान में शांति से जुड़ी है। हालांकि, यह बार-बार कहा गया है कि अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती उपस्थिति और प्रभाव के लिए अमेरिका की इच्छा, इस्लामाबाद को गंभीरता से चिंतित करती है।
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पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि भारत उसके बलूचिस्तान प्रांत में अशांति फैलाने के लिए अफगानिस्तान में आतंकी तत्वों का समर्थन करने, धन देने और उन्हें सुविधा प्रदान करने में लगा हुआ है। कश्मीर विवाद को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को कम करने में अमेरिकी हस्तक्षेप इस्लामाबाद की एक मांग है, जिसके प्रयास पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के कार्यकाल में किए जा रहे थे।