नाग पंचमी का त्योहार 13 अगस्त, दिन शुक्रवार को मानाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से नाग और सर्प का पूजन किया जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता का चित्र बनाकर उन्हें दूर्वा, कुशा,फूल, रोली,अछत चढ़ाना चाहिए। नाग देवता को सेवईं या खीर का भोग लगाया जाता है। चंदन का इत्र या सुगंध नागों को विशेष प्रिय होती है नाग देवता को चंदन का इत्र अर्पित करने से व्यक्ति की सभी मनो कामनाएं पूरी होती हैं। नाग पंचमी नाग देवता को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए…
1-नाग पंचमी के दिन पौराणिक मान्यता के इन अष्ट नागों – वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय की पूजा का विधान है। भविष्य पुराण में उल्लेखित इस मंत्र का जाप करें..
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
2- नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु।
येऽ अंतरिक्षे ये दिवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम:।।
जो सर्प और नाग पृथ्वी के अंदर व अंतरिक्ष में हैं और स्वर्ग में हैं, उन सभी सर्पों को नमस्कार है। राक्षसों के लिए बाण के समान तीक्ष्ण और वनस्पति के अनुकूल तथा जंगलों में रहने वाले सर्पों को नमस्कार है।
3- ये वामी रोचने दिवो ये वा सूर्यस्य रश्मिषु।
येषामपसु सदस्कृतं तेभ्य: सर्वेभ्यो: नम:।।
सूर्य की किरणों में सूर्य की ओर मुख किए हुए चला करते हैं तथा जो सागरों में समूह रूप से रहते हैं, उन सर्पों को नमस्कार है। तीनों लोकों में जो भी सर्प हैं, उन सब को नमस्कार करते हैं।
4- इनके अतिरिक्त नाग देवता को प्रसन्न करने के कुछ नाम मंत्र हैं जिनका जाप करने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है…
ऊँ सर्पाय नमः। ऊँ अनन्ताय नमः। ऊँ नागाय नमः। ऊँ अनन्ताय नमः। ऊँ पृथ्वीधराय नमः।