भारतीय नौसेना ने गोवा में आईएनएस हंसा में समुद्री लड़ाकू विमान ‘राफेल मरीन’ का परीक्षण किया है। नौसेना स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) विक्रांत के लिए समुद्री लड़ाकू जेट राफेल का एक बैच खरीदने की योजना बना रही है। भारत की जरूरतों के लिहाज से फ्रांसीसी कंपनी ने लड़ाकू क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए एक परमाणु सक्षम ‘राफेल मरीन’ भेजा। पिछले महीने भारत यात्रा पर आईं फ्रांस की रक्षा मंत्री ने आईएसी के लिए जेट विमानों की आपूर्ति करने के संकेत दिए थे।
दिसंबर, 2021 में भारत की यात्रा पर आईं फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने कहा था कि उनका देश भारत को जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। भारत-प्रशांत एक बहुत विस्तृत क्षेत्र है और चीन के साथ संबंधों में तनाव के कारण इस बड़े क्षेत्र के पूर्वी हिस्से पर राजनीतिक ध्यान अधिक है। फ्रांस और भारत अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के महत्वपूर्ण मुद्दों पर समान विचार साझा करते हैं। फ्रांस इंडो पैसिफिक में पड़ोसी देशों के साथ बहुपक्षीय संबंधों को विकसित करना चाहता है। इस रणनीति के केंद्र में भारत है।
फ्रांसीसी रक्षा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने भारतीय नौसेना के लिए समुद्री लड़ाकू जेट राफेल-एम देने की पेशकश की है। नौसेना भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत को अपने बड़े में शामिल करने से पहले रूसी मिग-29के को बदलना चाहती है। इसीलिए फ्रांस ने भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ अपनी लड़ाकू क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए समुद्री लड़ाकू विमान राफेल-एम भेजा, ताकि स्की-जंप करने की क्षमता का प्रदर्शन किया जा सके।
रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि नवम्बर, 2016 में भारतीय वायुसेना के लिए 36 लड़ाकू राफेल विमानों का सौदा होने के बाद से डसॉल्ट एविएशन भारतीय नौसेना के साथ ‘राफेल मरीन’ का सौदा करने पर नजर गड़ाए हुए है। दरअसल, नौसेना ने 2017 में 57 नए लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी कंपनियों को सूचना के लिए अनुरोध (आरएफआई) जारी किया था। तभी से कंपनी भारत में राफेल एम विमानों की क्षमता का प्रदर्शन करना चाहती है। आज हुए परीक्षण के दौरान राफेल एम ने आईएनएस हंसा, गोवा में तट-आधारित परीक्षण सुविधा (एसबीटीएफ) से उड़ान भरी।
इससे पहले अमेरिकी कंपनी बोइंग इंडिया भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों के लिए अपने एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान का आधिकारिक तौर पर अगस्त, 2021 में स्की जंप परीक्षण का प्रदर्शन कर चुकी है। कंपनी की ओर से जारी आधिकारिक वीडियो में दिखाया गया है कि यूएस के नेवल एयर स्टेशन में पेटक्सेंट रिवर के किनारे सुपर हॉर्नेट शॉर्ट टेकऑफ अरेस्ट रिकवरी सिस्टम से सफलतापूर्वक लॉन्च हो रहा है। यह डेक आधारित लड़ाकू जेट आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत से भी लॉन्च किया जा सकता है।
भारतीय नौसेना मौजूदा समय में मिग-29के का उपयोग कर रही है, लेकिन इन विमानों में रखरखाव, सेवा उपलब्धता और तकनीकी कठिनाई से संबंधित कई मुद्दे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले एक वर्ष में तीन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। देश का पहला स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत फिलहाल समुद्री परीक्षण के अंतिम चरण में है और इसके गणतंत्र दिवस तक नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है। इसलिए नौसेना इससे पहले आईएसी विक्रांत के लिए समुद्री लड़ाकू जेट राफेल का एक बैच खरीदने की योजना को अंतिम रूप देना चाहती है।
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फाइटर जेट राफेल के मुकाबले ‘राफेल मरीन’ की खासियत
भारतीय वायुसेना के उपयोग में आने वाले राफेल जेट के समुद्री संस्करण ‘राफेल मरीन’ में एक अंडरकारेज और नोज व्हील, एक बड़ा अरेस्टर हुक, एक एकीकृत सीढ़ी जैसे कई अन्य मामूली अंतर हैं। स्की टेक-ऑफ के लिए राफेल-एम चार-पांच टन बाहरी भार (पूर्ण आंतरिक ईंधन के साथ) तक ले जा सकता है। कम आंतरिक ईंधन के साथ, यह मिशन की आवश्यकताओं के आधार पर अधिक हथियार ले जा सकता है। इस प्रकार यह सभी भूमिकाओं को पूरा कर सकता है, जिसमें लड़ाकू हवाई गश्त, अवरोधन, एडी एस्कॉर्ट, साथ ही समुद्र और भूमि-हड़ताल पूर्ण आंतरिक ईंधन के साथ शामिल हैं। परीक्षण के लिए भेजा गया राफेल-एम भारत-विशिष्ट संवर्द्धन के साथ लड़ाकू का नवीनतम संस्करण है। परमाणु सक्षम राफेल-एम हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल उल्का, हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें स्कैल्प और हैमर प्रिसिजन गाइडेड गोला बारूद ले जा सकता है।