Sandeep Sharma– काफी उठापटक के बाद आखिरकार बिहार चुनाव का नतीजा सामने आ गया। बुधवार सुबह चार बजे तक हुई मतगणना के बाद जारी किये गए नतीजों ने बिहार के चेहरे पर छाई धुंध को हटा दिया और यहां एक बार फिर सुशासन बाबू की सत्ता पर मुहर लग गई। हालांकि इस चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। चुनाव के शुरुआत में बड़े भाई की भूमिका निभाने वाली जदयू चुनाव ख़त्म होने के बाद अब छोटे भाई के रूप में नजर आने वाली है।
सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी थी नीतीश कुमार की जदयू
दरअसल इन चुनाव के लिए एनडीए में हुए सीटों के बंटवारे में नीतीश कुमार की जदयू बड़े भाई के रूप में खड़ा हुआ था और सूबे की कुल 243 सीटों में से सबसे ज्यादा सीटें इसी पार्टी के खाते में गई थी। इस चुनाव में जदयू 122 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि बीजेपी के खाते में 121 सीटें आई थी। हालांकि बाद में बीजेपी में इन 121 सीटों में से 10 सीटें विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को दे दी थी। जदयू ने अपने खाते में पांच सीटें हम को दी थी
नतीजों ने बड़े भाई को बना दिया छोटा
हालांकि इस चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद अब जदयू छोटा भाई बन गया है। चुनाव के नतीजों ने बड़ा उलटफेर किया, जिससे जदयू को खासा नुकसान पहुंचा, इस चुनाव के नतीजों ने जदयू से बड़े भाई का पद छीनकर छोटा भाई बना दिया। दरअसल, चुनाव में जदयू के खाते में मात्र 43 सीटें गई जबकि उसके छोटे भाई के रूप में चुनाव लड़ रही बीजेपी एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी साबित हुई और 74 सीटों पर जीत दर्ज की।
बीजेपी बनी एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी
इस तरह से एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और दूसरे नंबर की पार्टी जदयू बनी। इसके अलावा हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के खाते में चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के खाते में चार सीटें आई। चुनाव में एनडीए गठबंधन को कुल 125 सीटें मिली, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें ही हासिल हो सकी। पूर्व बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता थी।
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नीतीश की सत्ता पर पड़ सकता है भरी असर
इस चुनावी नतीजे के बाद बिहार का राजनीतिक समीकरण बहुत तेजी से बदलता नजर आ रहा है। बीजेपी को मिली इस बढ़त से बिहार की सत्ता में उसका कद बढ़ता नजर आ रहा है। भले ही बीजेपी यह साफ़ कर चुकी है कि हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे, लेकिन सत्ता में पकड़ बीजेपी की ही मानी जा रही है। सूबे की 74 सीटें जीतने वाली बीजेपी के ज्यादा विधायकों को का मंत्रिमंडल में शामिल होना तय माना जा रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्ता में पकड़ बीजेपी के मुकाबले कम ही रहेगी। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रचार अभियान के दौरान यह साफ कर चुके हैं कि सीटें कम आईं तो भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे।