भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष में छलांग लगाई है। दरअसल, इसरो ने गुरूवार शाम आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से संचार उपग्रह सीएमएस-01 (पूर्व में जीसैट-12आर) को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी सी50) रॉकेट से लॉन्च कर दिया है। यह भारत का 42वां संचार उपग्रह है, जिसने राकेट के साथ सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से दोपहर बाद 3.41 बजे उड़ान भरी।
संचार उपग्रह सीएमएस-01 अंतरिक्ष से करेगा यह काम
बताया जा रहा है कि सीएमएस-01 संचार उपग्रह अगले सात साल तक सेवाएं देगा। यह देश की मुख्य भूमि के साथ-साथ अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूहों को एक्सटेंडेड सी-बैंड की सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
सीएमएस-01 जीसैट-12 के प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) के तौर पर होगा, जिसका वजन 1,410 किलोग्राम था और इसे 11 जुलाई 2011 को आठ वर्षो के मिशन के साथ लॉन्च किया गया था। यह पहला संचार उपग्रह है जिसे इसरो ने अपनी नई नामकरण योजना के तहत भेजा है।
इसरो ने हाल ही में अपने उपग्रहों का नामकरण वर्गीय (जनेरिक) तौर पर रखने का फैसला किया है। इसने पहले अपने पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों को ईओएस नाम दिया था और सभी संचार उपग्रह को सीएमएस के रूप में नामित किया जा रहा है।
यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के निदेशक (सेवानिवृत्त) एम अन्नादुरई ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए बताया कि आजकल उपग्रहों के पास विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए कई पेलोड हैं और इसलिए एक विषयगत उपग्रह का एक असंगत नाम हो सकता है। यही वजह है कि इसरो ने एक वर्गीय या सामान्य नाम के लिए जाने का फैसला किया हो सकता है। इस रॉकेट पोर्ट से इस वर्ष यह दूसरा जबकि देश के लिए तीसरा अंतरिक्ष मिशन है।
यह भी पढ़ें: विधानसभा में आक्रामक हुए केजरीवाल, फाड़ दी कृषि कानूनों की तीनों प्रतियां
बता दें कि इससे पहले 7 नवंबर को इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ईओएस-01 (अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-01, पूर्व में रिसैट-2बीआर2) सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया था। इससे पहले 17 जनवरी, 2020 को इसरो ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेस रॉकेट एरियन-5 द्वारा 3,357 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह जीसैट-30 को लॉन्च किया था।