केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार द्वारा बीते आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किये गए वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पूरे देश में मुस्लिमों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। कई बड़े मुस्लिम संगठन इस विधेयक का विरोध कर चुके हैं। लेकिन आखिर यह विरोध क्यों हो रहा है, इसकी असली वजह शनिवार को एमआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद में किया। दरअसल उन्होंने यहां इस विधेयक से होने वाले असली खतरों का जिक्र किया है।
इन खतरों के बारे में बात करते हुए ओवैसी ने दावा किया कि देश की लगभग 90% मस्जिदों पर मुसलमानों का कब्जा है क्योंकि उनके पास स्वामित्व साबित करने वाले दस्तावेज़ नहीं हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि अगर वक्फ बिल कानून बन जाता है तो इससे मस्जिद, ईदगाह और दूसरे मुस्लिम धार्मिक स्थल छिन जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक बार जब मुसलमान किसी जगह को इबादतगाह के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं तो वह जगह हमेशा के लिए मुसलमानों की संपत्ति बन जाती है और अब मोदी सरकार उस प्रावधान को बदल रही है।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना में 33,000 वक्फ संपत्तियां हैं और उनमें से 90% के पास जमीन का पंजीकृत दस्तावेज नहीं है। उन्होंने पूछा कि अगर कोई मक्का और मदीना का पंजीकृत दस्तावेज मांगे, तो क्या वे इसे उपलब्ध करा पाएंगे। ओवैसी ने दावा किया कि चूंकि 300-400 साल पहले कोई पंजीकरण दस्तावेज नहीं थे, इसलिए ये मस्जिदें सरकार द्वारा छीन ली जाएंगी।
उन्होंने कहा कि हमने एक बाबरी मस्जिद खो दी, अब हम 90% मस्जिदें खो देंगे। उन्होंने दावा किया कि आरएसएस दफन मंदिरों को खोजने के लिए मस्जिदों की खुदाई की मांग करेगा।
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ओवैसी ने आगे आंकड़े देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में 1.21 लाख वक्फ संपत्तियां हैं और उनमें से 1.12 लाख के पास कोई दस्तावेज नहीं है। ओवैसी ने पूछा, ‘अगर उनका स्वामित्व छीन लिया गया तो संपत्तियों पर कौन कब्जा करेगा?