अंतरराष्ट्रीय आतंकी सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों समेत 11 कर्मचारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि 11 सरकारी कर्मचारियों को मामूली आधार पर बर्खास्त करना आपराधिक है। संविधान को कुचलकर केंद्र सरकार छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में जम्मू-कश्मीर के लोगों को लगातार शक्तिहीन कर रही है। जम्मू-कश्मीर के सभी नीतिगत फैसले कश्मीरियों को दंडित करने के एकमात्र उद्देश्य से लिए जाते हैं।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों समेत 11 कर्मचारियों को शनिवार को नौकरी से बर्खास्त किया था। ये सभी देशविरोधी गतिविधियों और आतंकियों की मदद में शामिल रहे हैं। सरकार की इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है। पाकिस्तान की शरण में पल रहे हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के बेटे सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ टेरर फंडिंग मामले में शामिल रहे हैं। एनआईए ने दोनों को ट्रैक करने के बाद उनका ट्रायल किया था। इसमें पाया गया था कि दोनों हिजबुल के लिए पैसे एकत्रित करते थे। हवाला के जरिये फंड भी ट्रांसफर करते थे।
बर्खास्त होने वालों में एक कुपवाड़ा आईटीआई का अर्दली है जो लश्कर-ए-तैयबा के ओजीडब्ल्यू के रूप में काम करता है। वह आतंकियों को सुरक्षा बलों की मूवमेंट की जानकारी देता था। अनंतनाग के दो शिक्षकों जब्बार अहमद पर्रे और निसार अहमद तांत्रे को देशविरोधी गतिविधियों एवं अलगाववाद को बढ़ावा देने समेत जमात ए इस्लामी व दुख्तरान-ए-मिल्लत जैसे अलगाववादी संगठनों को समर्थन देने के आरोप में बर्खास्त किया गया है। दोनों पर पाकिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप है।
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स्वास्थ्य विभाग के अर्दली नाज मोहम्मद एली की आतंकियों से संबंध के कारण छुट्टी की गई है। वह हिजबुल मुजाहिदीन का ओजीडब्ल्यू था और आतंकी गतिविधियों से उसका सीधा संबंध था। उसने दो खूंखार आतंकियों को अपने घर पर छिपाकर भी रखा था। बिजली विभाग के इंस्पेक्टर शाहीन अहमद लोन को हिजबुल मुजाहिदीन के लिए हथियारों की तस्करी में शामिल पाया गया। उसे पिछले साल जनवरी महीने में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर दो आतंकियों के साथ पकड़ा गया था। दो पुलिसकर्मियों को भी बर्खास्त किया गया है।