समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज चल रहे आजम खान के लिए क्या बीएसपी भी एक विकल्प हो सकती है। गुरुवार को उनके समर्थन में मायावती के ट्वीट से यूपी के सियासी गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों जेल में आजम खान से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने अलग-अलग मुलाकात की थी। उधर, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी आजम खान के घर जाकर उनकी पत्नी पूर्व सांसद तंजीन फातमा और बेटे सपा विधायक अब्दुल्ला आजम से मुलाकात की थी।
जाहिर है यूपी की सियासत में मुस्लिम वोटों पर दावा जताने वाली पार्टियों में अचानक आजम खान की डिमांड बढ़ गई है। गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपने ट्वीट में आजम के बहाने बीजेपी पर मुस्लिमों को टारगेट करने का आरोप लगाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की। इसके पहले मायावती, 2022 विधानसभा चुनाव में बीएसपी की करारी हार (इस चुनाव में बीएसपी सिर्फ 1 सीट जीत सकी है) का ठीकरा सपा के सिर पर फोड़ चुकी हैं।
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मायावती बार-बार समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच मिलीभगत के आरोप लगाती हैं। इसके साथ ही वह संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि बीजेपी को हराने के लिए सपा के पक्ष में मुस्लिम समाज के एकतरफा वोटिंग करने से ही नुकसान हुआ है। चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी को हराने के लिए सपा के पक्ष में मुस्लिमों की एकतरफा वोटिंग से हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हुआ जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला।