सीतापुर। पिसावां थाना क्षेत्र के ससुर्दीपुर गांव में दहेज लोभियों ने एक विवाहिता की हत्या कर उसे फांसी पर लटका दिया। हत्या से कुछ घंटे पहले विवाहिता ने माइके में फोन कर दहेज के खातिर ससुराल वालों की प्रताड़ना का सच बताया था। विवाहिता ने यह भी बताया था कि उसकी हत्या की जा सकती है। घटना 27 की रात की बतायी जा रही है। खास बात यह है कि इस पुरे प्रकरण में पिसावां पुलिस पीड़ित परिवार की कोई सुनवाई नहीं कर रही है। परिजन अब उच्च अधिकारियों से मिलकर न्याय की गुहार लगाने की बात कर रहे हैं।
पिसावां थाना क्षेत्र के सैतियापुरि गांव के रहने वाले राम कुमार दीक्षित की तीसरी बेटी अर्तिका (21) की शादी हिन्दू रीति रिवाज से चार माह पूर्व 12 मई 2022 को इसी थाना क्षेत्र के गांव ससुर्दीपुर गांव के रहने वाले अनिल शुक्ला के बेटे रितेश शुक्ला ऊर्फ मोनू से हुई थी। राम कुमार दीक्षित के अनुसार शादी के कुछ दिनों बाद से ही दहेज के लिए अर्तिका को सुसराल वालों ने प्रताड़ित करना शुरु कर दिया था। आये दिन अर्तिका का पति रितेश शुक्ला, ससुर अनिल शुक्ला, सास बाटू, और ननद मानसी व मनीषा को ताना दिया करते थे। अर्तिका अक्सर इसकी शिकायत अपने मां बाप से किया करती थी। 27 सितंबर की रात लगभग 8.45 बजे अर्तिका ने अपने माइके में फोन किया। राम कुमार ने बताया कि ससुराल वालों ने अर्तिका का फोन पहले ही छीन लिया था। अर्तिका ने किसी तरह अपने पति का फोन लेकर रात में अपनी मां से बात की थी। फोन पर बात करते समय वह काफी डरी सहमी और घबराई हुई थी। पति को जब इस बात की भनक लगी तो उसने फोन छीन लिया था और स्वीच ऑफ कर दिया। फोन कटने के बाद पिता ने उसी गांव के मंझीया आनंद मिश्रा को फोन कर इसकी सूचना दी। आनंद ने राम कुमार से कहा कि मैं जाकर देखते हूं। इस बात पर राम कुमार थोड़ा आश्वस्त हुआ। राम कुमार को अगले दिन सुबह अर्तिका की मौत की सूचना मिली। मंझीया आनंद मिश्रा ने सुबह फोन कर बताया कि उसकी बेटी की तबियत खराब है वह महोली लेकर जा रहे हैं। राम कुमार जब महोली पहुंचा तो उसे वहां कोई नहीं मिला। बाद में जानकारी हुई कि अर्तिका की लाश ससुर्दीपुर में है। सूचना पाकर अर्तिका के माइके वाले ससुर्दीपुर गांव पहुंचे। वहां आरोपी महिलाओं को छोड़कर सभी फरार थे। राम कुमार ने बताया कि अर्तिका के शरीर चोट के कई निशान दिख रहे हैं।
पिसावां पुलिस नहीं ली तहरीर, कहा पीएम के बाद दर्ज होगा मुकदमा
पिसावां थाना की पुलिस ने इस गंभीर मामले में पीड़ित परिवार की कोई सुनवाई नहीं की। पुलिस की लापरवाही के आलम यह रहा है कि 28 सितम्बर को शाम 4 बजे एक सिपाही अर्तिका का शव लेकर जिला अस्पताल स्थित मरच्यूरी हाउस पहुंचा। जब अस्पताल के स्टाफ ने उससे पंचनामा का कागज मांगा तो उसने कहा कि दरोगा जी आकर देंगे। देर शाम तक अस्पताल में पंचनामा की कॉपी नहीं पहुंची। सिपाही ने अपनी ड्यूटी खत्म हो जाने की बात कह कर वहां से चला गया। बृहस्पतिवार को सुबह 11 बजे तक पिसावां थाना की पुलिस पंचनामा रिपोर्ट लेकर मरच्यूरी हाउस नहीं पहुंची है। परिजानों ने यह भी बताया कि उन्होंने जब पिसावां पुलिस को आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिये तहरीर दी तो दरोगा ने तहरीर लेने से इंकार कर दिया। पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम हो जाने के बाद मुकदमा दर्ज होगा।
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मां को है मलाल : रात में ही पहुंच जाते तो बच जाती अर्तिका की जान
अर्तिका के ससुराल वाले उसे 27 की शाम से मारना पिटना शुरु कर दिये थे। अर्तिका का फोन छीन लिया गया था। रात 8.45 बजे अर्तिका के हाथ उसके पति का मोबाइल लगा। उसने अपनी मां को फोन कर मारपिट और प्रताड़ना की बात बताई। इस बात की भनक जैसे की उसके पति को हुआ वह अर्तिका को लात मरते हुए अर्तिका के हाथ से मोबाइल छीनकर स्वीज ऑफ कर दिया। बृहस्पतिवार को जब मां ममता दीक्षित ने अर्तिका का शव देखा तो वह गश खाकर गिर पड़ी। वह रो-रो कर कहने लगी कि हम रात में अर्तिका के यहां पहुंच जाते तो उसकी जान बच सकती थी।