कोलकाता। पश्चिम बंगाल में गुरुवार को माकपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर ममता सरकार की पुलिस ने जमकर लाठियां चटकाईं। हालात ऐसे बन गये कि कार्यकर्ताओं को लगा कि उनका घरों से निकलना भारी पड़ गया। असल में पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक तकरार भी तेज हो गई है। गुरुवार को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की बेहतरी की मांग पर सचिवालय घेराव करने निकले माकपा और कांग्रेस के छात्रों और युवाओं पर पुलिस ने जमकर लाठियां चटकाई है।
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गुरुवार को वाममोर्चा के आठ छात्र संगठनों तथा कांग्रेस तथा सीपीएम की युवा इकाई की ओर से सचिवालय घेराव की घोषणा की गई थी। उसी के मुताबिक धर्मतल्ला तथा मौलाली में कोलकाता तथा आसपास के जिलों से हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं और युवा एकत्रित हुए थे। उधर गुरुवार दोपहर के समय ही माकपा विधायक इब्राहिम अली के नेतृत्व में कुछ छात्र व युवा सचिवालय के पास पहुंच गए थे तथा ममता के खिलाफ नारेबाजी करने लगे थे जिन्हें हिरासत में ले लिया गया है।
बाद में धर्मतल्ला में एकत्रित हुए छात्रों को रोकने के लिए पुलिस ने ह्यूमन चेन बनाया था और बैरिकेडिंग कर दी थी लेकिन बड़ी संख्या में एकत्रित हुए छात्र किसी भी तरह से पुलिस के समझाने बुझाने पर वापस लौटने को तैयार नहीं थे। यहां तक कि छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़कर सचिवालय कूच करने की कोशिशें जारी रखी थी जिसकी वजह से करीब तीन से चार घंटे तक धर्मतल्ला, मौलाली और आसपास भारी ट्रैफिक जाम लगा रहा।
बाद में इन युवाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। यहां तक की सचिवालय की ओर बढ़ रहे छात्रों और युवाओं पर आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया है कि आंदोलनकारियों पर नजर रखने के लिए दो ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया जा रहा था। सबसे अधिक टकराव एसएन बैनर्जी रोड पर हुआ है। यहां सचिवालय की ओर बढ़ रहे छात्र-छात्राओं व युवाओं को रोकने के लिए पुलिस ने भारी बल प्रयोग किया और प्रदर्शनकारियों दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जिसकी वजह से टकराव की स्थिति बन गई।
उल्लेखनीय है कि आगामी 28 फरवरी को माकपा और कांग्रेस गठबंधन की संयुक्त रैली कोलकाता के सबसे बड़े ब्रिगेड परेड मैदान में होनी है। उसके पहले पार्टी की युवा इकाई के जरिए गठबंधन शक्ति प्रदर्शन की कोशिशों में जुटा हुआ है।