मणिपुर हिंसा को कंट्रोल करने पहुंची भारतीय सेना ने कहा है कि मोरेह और कांगपोपी इलाकों में हालात पर काबू पा लिया गया है। सेना ने कहा कि स्थिति को नॉर्मल करने की कोशिशें जारी हैं। राजधानी इंफाल और चुराचांदपुर में स्थिति अब पूरी तरह से नियंत्रण में है। हालात को देखते हुए भारतीय सेना की कुछ और टुकड़ियों को मौके पर बुलाया गया है। नगालैंड से भी सेना की टुकड़ी मणिपुर पहुंची है।
मणिपुर हिंसा को लेकर भारतीय सेना ने क्या कहा
इंडियन आर्मी ने हालात पर काबू पाने के बाद कहा कि भारतीय वायुसेना गुवाहाटी और तेजपुर से उड़ानों को सही करने में जुट गई है। आर्मी के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्सेस ने मणिपुर में फ्लैग मार्च करना शुरू कर दिया है। जानकारी के लिए बता दें कि बीते 3 मई को मणिपुर में दोबारा हिंसा भड़क उठी थी, जिसने धीरे-धीरे उग्र रूप धारण कर लिया। यह हिंसा ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन के प्रदर्शन के बाद भड़की, जो कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं।
मेघालय के चीफ मिनिस्टर की इमरजेंसी मीटिंग
मणिपुर के हालात को देखते हुए मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने स्टूडेंट्स की सुरक्षा को लेकर इमरजेंसी मीटिंग की है। इस मीटिंग में सरकार के सीनियर अधिकारियों ने पार्टिसिपेट किया है। संगमा ने मीटिंग में कहा कि हर हाल में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि हिंसाग्रस्त इलाकों से छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए प्लान बनाएं। संगमा ने कहा कि मणिपुर में मेघालय के करीब 200 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं ताकि स्टूडेंट्स के परिवार वाले किसी भी इमरजेंसी में संपर्क कर सकें।
भारतीय सेना ने कहा- फर्जी वीडियो से सावधान रहें लोग
इंडियन आर्मी ने लोगों से कहा है कि किसी भी तरह के फर्जी वीडियो से सावधान रहें। जानकारी के लिए बता दें कि मणिपुर में कई फर्जी वीडियो सर्कुलेट किए गए हैं, जिसमें असम रायफल्स द्वारा अटैक की बातें की जा रही हैं। यह वीडियो जानबूझकर मैनिपुलेट करके सर्कुलेट हुए हैं, जिससे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। आर्मी ने कहा है कि सिर्फ उसी कंटेंट पर भरोसा करें तो किसी वेरिफाइड सोर्स से जारी किए जा रहे हैं।
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कब और कैसे शुरू हुई मणिपुर की हिंसा
3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर की तरफ से ट्राइबल सॉलिडिरीटी मार्च का आयोजन किया गया था। चुराचांदपुर के तोरबंग इलाके में यह मार्च निकाला गया। इसका मुख्य उद्देश्य मइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं करने की मांग थी। इसी दौरान भारी संख्या में लोग जमा हुए और हिंसा भड़क उठी। इसके बाद वहां पर सेना को बुलाना पड़ा। स्थिति बिगड़ती देखकर गोली मारने तक के आदेश जारी किए गए। हालांकि अब हालात पर काबू पा लिया गया है।