प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत अपने अनुभवों और विभिन्न क्षेत्रों में की गई पहलों को दुनिया के अन्य देशों के साथ साझा करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को अपने-अपने संविधान में अंतर्निहित सिद्धातों और मूल्यों के अनुसार आचरण करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने आज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से आयोजित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में कहा कि दुनिया का कार्यसंचालन लोकतांत्रिक सिद्धातों के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को मुक्त एवं लोकतांत्रिक समाजों को मजबूत बनाने में योगदान देना चाहिए।
दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में पहले दिन आज 12 देशों के नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। मोदी ने कहा कि भारतीय समाज में लोकतांत्रिक मूल्य, विधि का शासन और बहुलतावादी व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया है। दुनियाभर में फैले भारतीय मूल के लोगों ने भी अपने-अपने देशों में विकास और सामाजिक सद्भावना कायम करने में भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में संवेदनशीलता, जवाबदेही, जनसहभागिता और सुधारों के तत्व शामिल हैं।
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मोदी इस सम्मेलन में भारत की ओर से शुक्रवार को राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे। इस सम्मेलन में रूस और चीन को आमंत्रित नहीं किया गया है। इसे लेकर चीन ने अमेरिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था के दोहरेपन का आक्षेप लगाते हुए कहा है कि चीन में वास्तविक लोकतंत्र है।