भारत ने अफगानिस्तान से अपने संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए एक कदम बढ़ाया है। दरअसल, केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने मंगलवार को घोषणा किया है कि वह अफगानिस्तान में एक नया बांध बनाएगी, जिससे काबुल के लाखों लोगों को पीने का साफ़ पानी मिल सकेगा। इस बात की घोषणा मोदी सरकार के विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे एस जयशंकर ने दी।
अफगानिस्तान में बांध बनाएगा भारत
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान के साथ सिर्फ शतूत बांध के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे काबुल शहर के 20 लाख निवासियों को स्वच्छ पेयजल मिलेगा। जयशंकर ने 23 से 24 नवंबर तक जेनेवा में वर्चुअली आयोजित किए गए 2020 अफगानिस्तान सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।
सम्मेलन की सह-मेजबानी संयुक्त राष्ट्र (यूएन), इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान की सरकार और फिनलैंड की सरकार ने की। इसका उद्देश्य परिवर्तनकारी दशक 2015-2024 के दूसरे भाग के दौरान अफगानिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करना है।
सम्मेलन में मंत्री ने अफगानिस्तान में उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं के चौथे चरण के शुभारंभ की भी घोषणा की, जिसमें आठ करोड़ अमेरिकी डॉलर की 100 से अधिक परियोजनाओं की परिकल्पना की गई है, जो भारत अफगानिस्तान में शुरू करेगा।
भारत ने पहले काबुल शहर को बिजली प्रदान करने वाली 202 किलोमीटर की फुल-ए-खुमरी ट्रांसमिशन लाइन पर भी अपना सहयोग दिया था। जयशंकर ने अपने बयान में भारत के निकटस्थ पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार के तौर पर अफगान के विकास और उसके लोगों के लाभ के लिए भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
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जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज अफगान का कोई भी हिस्सा उन 400 से अधिक परियोजनाओं से अछूता नहीं है, जिनमें भारत ने अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में सहायता प्रदान की है। इसके साथ ही भारत में 65,000 से अधिक अफगानी छात्रों ने अध्ययन भी किया है। अफगानिस्तान में भारत के विकास पोर्टफोलियो तीन अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो चुका है।
जयशंकर ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान में शांति और विकास के क्षेत्र में भारी निवेश किया है और उसका मानना है कि पिछले दो दशकों के लाभ को संरक्षित किया जाना चाहिए और अल्पसंख्यकों, महिलाओं एवं कमजोर वर्गों के हितों को सुनिश्चित करना चाहिए।
मंत्री ने अफगान में हिंसा के बढ़ते स्तर के बारे में चिंता व्यक्त की और तत्काल और व्यापक संघर्ष विराम के लिए भारत के आह्वान को दोहराया।
एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में, भारत एक शांतिपूर्ण, समृद्ध, संप्रभु, लोकतांत्रिक और एकजुट अफगानिस्तान की दिशा में काम करने के लिए अफगानिस्तान और विश्व समुदाय के लोगों के साथ हाथ मिलाने के लिए तत्पर है।