भारत हजारों वर्षों से पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में मानता रहा है : मुख्‍यमंत्री योगी

भारत हजारों वर्षों से पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में मानता रहा है : मुख्‍यमंत्री योगी

लखनऊ।  मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि भारत हजारों वर्षों से पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में मानता रहा है।योगी आदित्‍यनाथ ने यहां सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) के तत्वावधान में आयोजित विश्व के प्रधान न्यायाधीशों एवं न्यायाधीशों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में ”वसुधैव कुटुंबकम” का उद्घोष करते हुए कहा कि ”भारत हजारों वर्षों से पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में मानता रहा है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी में अतिथियों के आगमन पर राज्य सरकार और यहां के लोगों की ओर से उनका स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए योगी ने कहा, ”यह भारत की न केवल एक भावना रही है, बल्कि दुनिया का कोई मत, मजहब या संप्रदाय नहीं, जिसे उसके संकट के समय में भारत ने शरण न दी हो, भारत ने उसे आगे बढ़ने और उसके संरक्षण में अपना योगदान न दिया हो।

योगी ने कहा, ”आज के इस अवसर पर जब हम दुनिया भर से जुड़े न्यायविदों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में यहां पर उपस्थित हुए हैं तो इस अवसर पर सीएमएस लखनऊ के संस्थापक डॉक्टर जगदीश गांधी की स्मृतियों को नमन करता हूं, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्‍होंने ही वैश्विक एकता, शांति और न्याय के लिए मुख्‍य न्यायाधीशों के अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन की शुरुआत की।

योगी ने कहा, ”हमें इस बात को कभी विस्मृत नहीं करना चाहिए कि वास्तव में दुनिया की समस्‍या क्‍या है और कहीं न कहीं जब हम इसके तह में जाते हैं तो लगता है कि एक दूसरे के बीच में ‘‘संवाद’’ नहीं है या किन्हीं कारणों से स्वयं के वर्चस्व को स्थापित करने के लिए इसे बाधित किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सम्‍मेलन वास्तव में दुनिया भर की मानवता के लिए संवाद का एक माध्‍यम है, उन लोगों के लिए जिन लोगों ने अपना स्वयं का वर्चस्व स्थापित करने के लिए दुनिया में अशांति और अराजकता का वातावरण बनाने का प्रयास किया है।

उन्‍होंने कहा, ”दुनिया में जहां अशांति है, जहां पर अराजकता है, जहां वर्चस्व को लेकर एक दूसरे के संप्रभुता को हड़पने की होड़ हो, वहां पर शिक्षा, वहां पर विकास अपने आप में बेमानी सी दिखती है और उन स्थितियों में हम सबको विचार करना चाहिए कि कैसे इन समस्याओं के समाधान के लिए हर एक स्तर पर प्रयास किये जाने की जरूरत है, हम भी उसमें सहभागी बन सकते हैं।