उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चुनाव आयोग के चुनाव के ऐलान के बाद राज्य का सियासी तापमान एक बार फिर गर्मा गया है. राज्य में एक बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर (OP Rajbhar) ने सियासी अटकलों को तेज कर दिया है. क्योंकि राज्य में चर्चा है कि राजभर एक बार फिर बीजेपी के साथ गठबंधन में आ सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजभर की बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह (Dayashankar Singh) ने शनिवार को मुलाकात हुई. हालांकि इस मुलाकात का खुलासा नहीं हुआ है. लेकिन राज्य में इस बात की अटकलें शुरू हो गई हैं कि ओमप्रकाश राजभर को फिर से बीजेपी के साथ आ सकते हैं. हालांकि इससे पहले भी राजभर की दयाशंकर सिंह से मुलाकात हो चुकी है.
असल में पिछले दिनों ही ओपी राजभर ने भागीदारी मोर्चा को झटका देते हुए समाजवादी पार्टी के साथ करार किया था और बीजेपी पर जमकर हमले किए थे. वहीं अब उनकी बीजेपी नेता के साथ बैठक के बाद अटकलें शुरू हो गई हैं. हालांकि दोनों की तरफ से इस मामले में कुछ बयान नहीं दिया गया है. वहीं राज्य में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने भी लखनऊ में दावा किया था कि सुभाषपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर फिर से बीजेपी के साथ आएंगे और इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. निषाद ने कहा उनके सलाहकार उन्हें बार बार नुकसान पहुंचा रहे हैं.
अपनी शर्तों के साथ बीजेपी के साथ करार करना चाहते थे राजभर
राज्य में 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था और वह सीटें जीतने में कामयाब रही. जबकि 2022 के चुनाव के लिए सुभासपा ने बीजेपी के बजाए समाजवादी पार्टी के गठबंधन किया है. हालांकि इससे पहले बीजेपी के तरफ से कई बार राजभर से बातचीत की कोशिश की गई. लेकिन राजभर ने बीजेपी के सामने अपनी शर्त रखी और इसके तहत उन्होंने बीजेपी से पिछड़ी जाति से किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी. इसके साथ ही पिछले दिनों ही ओम प्रकाश राजभर की राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात हुई थी.
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राजभर ने बनाया था भागीदारी मोर्चा
राजभर ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद राज्य में एआईएमआईएम और छोटे दलों के साथ भागीदारी मोर्चा का गठन किया था. लेकिन पिछले महीने ही उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. बताया जा रहा है कि एसपी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी के भीतर नाराजगी है. वहीं पिछले दिनों ही एआईएमआईएम के साथ गठबंधन को लेकर राजभर को अपने नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी थी. लिहाजा पार्टी का एक वर्ग बीजेपी के साथ करार के पक्ष में है. क्योंकि बीजेपी के साथ जाकर ही सुभासपा ने राज्य में चार सीटें जीती थी.