देश के सभी जलस्रोतों की पहली बार गणना हुई है। जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी इस रिपोर्ट में देश भर के तालाबों, टैंक, झील एवं रिजरवायर पर व्यापक आंकड़ा तैयार किया गया है। देश में उपलब्ध सभी जल स्रोतों पर यह गणना साल 2018-19 में की गई। गणना के बाद यह बात सामने आई कि राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 24 लाख से ज्यादा जल स्रोत हैं। इनमें सबसे ज्यादा जल स्रोत (7.47 लाख) पश्चिम बंगाल में हैं।
बंगाल में सबसे ज्यादा जल स्रोत
रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल के बाद सबसे ज्यादा जल स्रोत उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम में हैं। खास बात यह है कि देश में जितने भी जल स्रोत हैं उनमें से आधे से ज्यादा निजी हाथों में हैं। इस गणना में जल स्रोतों को लेकर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में असमानताएं भी दिखी हैं। देश में कुल जल स्रोतों में से 97 प्रतिशत (23,55,055) जलस्रोत केवल ग्रामीण इलाकों में हैं, केवल 2.9 फीसदी (69,485) जल स्रोत शहरी क्षेत्रों में हैं।
78 फीसदी जल स्रोत मानव निर्मित
मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह गणना देश में उपलब्ध सभी जल स्रोतों पर एक व्यापक नजरिया देती है। इनमें से 22 फीसदी जल स्रोत प्राकृतिक एवं 78 फीसदी जल स्रोत जैसे कि तालाब, टैंक्स, रिजरवायर, चेक डैम्स एवं झीलें मानव निर्मित हैं।
इस गणना में यह बात सामने आई है कि कुल जल स्रोतों में से 55.2 फीसदी जल स्रोत निजी लोगों एवं संस्थाओं के हाथों में हैं। जबकि 44.8 फीसदी जल स्रोतों पर सरकारी नियंत्रण है। देश में सबसे ज्यादा झीलें तमिलनाडु और जल संरक्षण की योजनाएं सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में हैं। उत्तर प्रदेश में जल स्रोतों की संख्या 2.45 लाख, आंध्र प्रदेश में 1.90 लाख, ओडिशा में 1.81 लाख, असम में 1.72 लाख, झारखंड में 1.07 लाख, तमिलनाडु में 1.06 लाख है।
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उपयोग में 82 फीसदी जल स्रोत
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कुल जल स्रोत (24,24,540) का 82 फीसदी उपयोग में है। जबकि 1.6 प्रतिशत हिस्से पर अतिक्रमण है। शेष बचे 16.3 फीसदी जल स्रोतों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। जिनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है वे जल स्रोत या तो सूख गए हैं या उनका अब मरम्मत नहीं हो सकता। जिन जल स्रोतों का इस्तेमाल हो सकता है उनमें 58.2 प्रतिशथ तालाब, 15.6 फीसदी टैंक्स, 14.2 प्रतिशत रिजरवायर, 9.3 फीसदी जल संरक्षण योजनाएं (डैम), 0.5 फीसदी झीलें और 2.2 प्रतिशत अन्य जल स्रोत हैं।