गुजरात हाईकोर्ट ने सूबे की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने बीजेपी सरकार द्वारा बनाए गए धर्मांतरण विरोधी नए कानून की अंतरधार्मिक विवाह संबंधी कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव की खंडपीठ ने लव जिहाद कानून के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते यह फैसला लिया, इस खंडपीठ ने कहा कि लोगों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया गया है।

हाईकोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका
दरअसल, बीते 15 जुलाई को बीजेपी सरकार ने गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 को लागू किया था, जिसमें विवाह के माध्यम से जबरन और धोखाधड़ी कर धर्म परिवर्तन को आपराधिक श्रेणी में रखते हुए दण्डित करने का प्रावधान है। सरकार के इसी कानून के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात शाखा ने जुलाई में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ ने गुरूवार को कहा कि हमारी यह राय है कि आगे की सुनवाई लंबित रहने तक धारा तीन, चार, चार ए से लेकर धारा चार सी, पांच, छह एवं छह ए को तब लागू नहीं किया जाएगा, यदि एक धर्म का व्यक्ति किसी दूसरे धर्म व्यक्ति के साथ बल प्रयोग किए बिना, कोई प्रलोभन दिए बिना या कपटपूर्ण साधनों का इस्तेमाल किए बिना विवाह करता है और ऐसे विवाहों को गैरकानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से किए गए विवाह करार नहीं दिया जा सकता।
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उन्होंने कहा कि अंतरधार्मिक विवाह करने वाले पक्षों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए यह अंतरिम आदेश जारी किया गया है। गौरतलब है कि बीजेपी शासित राज्यों जैसे- कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम में ऐसा ही कानून है या फिर उन्होंने इसे बनाने का ऐलान किया है।
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