महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाले मुस्लिम अधिवक्ताओं को बॉम्बे हाईकोर्ट की फटकार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही अदालत ने एफआईआर भी दर्ज करने से साफ़ इनकार कर दिया। अदालत का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण इरादे का सबूत है।
हाईकोर्ट ने दी चेतावनी
यह मामला बीते सोमवार का है। दरअसल, कुछ मुस्लिम अधिवक्ताओं हिंदू संत रामगिरी महाराज के साथ मंच साझा करने के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने इस मांग को नकार दिया है। साथ ही मुस्लिम वकील को इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने से बचने की भी चेतावनी दी।
यह टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किए जाने के बाद आई है कि इस साल अगस्त में महाराष्ट्र के नासिक जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पैगंबर मुहम्मद के बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए रामगिरी महाराज के खिलाफ कुल 67 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि कथित ईशनिंदा सामग्री, जिसे ऑनलाइन साझा किया गया था, को साइबर अपराध पुलिस द्वारा हटाया जा रहा है।
उन्होंने यह बात उस याचिका का विरोध करते हुए कही जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी, क्योंकि उन्होंने रामगिरी महाराज के साथ मंच साझा किया था।
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महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के खिलाफ एफआईआर की मांग करने वाली याचिका वकील मोहम्मद वसी सईद और अन्य द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने दावा किया था कि 2014 के बाद से सांप्रदायिक घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, राज्य और केंद्र सरकारें कथित रूप से व्यवस्थित इस्लामोफोबिक प्रथाओं को संरक्षित और बढ़ावा दे रही हैं, जिससे भीड़ द्वारा हत्या, दंगे और मुसलमानों को हाशिए पर धकेला जा रहा है।