इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देर शाम कोविड-19 व तेजी से फैल रहे ओमिक्रोन संक्रमण को देखते हुए प्रदेश के सभी जिला अदालतों, ट्रिब्यूनल व अन्य सभी अधीनस्थ न्यायालयों के लिए गाइडलाइन जारी किया है। अब हाईकोर्ट के नियंत्रणाधीन सभी अदालतों में न्यायिक कार्य इस नई गाइडलाइन के तहत ही अगले आदेश तक सम्पन्न होगा।
इस गाइडलाइन के तहत परिसर खोलने से पहले, जिला न्यायाधीश पूर्ण स्वच्छता (चिकित्सा दिशानिर्देशों के अनुसार सख्ती से) सुनिश्चित करेंगे और सम्बंधित जिले के जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से सहायता प्राप्त कर पूरे न्यायालय परिसर की दैनिक आधार पर सफाई कराएंगे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी न्यायालय और न्यायाधिकरण निम्नलिखित मामलों को सुनेंगे। नए वलम्बित मामले (यदि कोई हो)। जमानत (लंबित/नए केस)। अग्रिम जमानत (लंबित/नए केस)। वाहन की रिहाई, छोटे-मोटे अपराधों के मामलों के निपटान से सम्बंधित मामले। तत्काल निषेधाज्ञा मामले (लंबित/ताजा)। धारा 173 सीआरपीसी के तहत पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने और निपटाने से संबंधित मामले जांच अधिकारी के आवेदनों का निपटान जैसे, सीआरपीसी की धारा 82/83 के तहत प्रक्रिया, धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान रिमांड/अन्य न्यायिक कार्य के विचाराधीन कैदी का सम्मन केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही सख्ती से किया जाएगा। तकनीकी समस्या, अन्य तरीकों को अपनाया जा सकता है।
जिन मामलों में साक्ष्य पूर्ण हैं, तर्कों को वर्चूअल सुना जा सकता है या लिखित निवेदनों पर विचार किया जा सकता है। लंबित आदेश/निर्णय को सुनाना, यदि कोई हो, यदि तर्क पहले ही पूरे हो चुके हों।कार्यालय का लंबित कार्य। कोई अन्य तत्काल न्यायिक कार्य या कोई अन्य प्रशासनिक कार्य। आपराधिक मामलों में संबंधित पक्षों की अनुपस्थिति में कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाएगा/कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यदि सम्बंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट/मुख्य चिकित्सा अधिकारी की यह राय है कि जिला/बाहरी न्यायालय परिसर को कोविड-19 के कारण किसी विशेष अवधि के लिए बंद किया जाना चाहिए, तो उक्त अवधि के लिए तत्कालीन जिला न्यायालय/बाहरी न्यायालय को बंद किया जा सकता है।
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विशिष्ट कारणों का उल्लेख करते हुए सभी सूचनाएं इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भेजी जाएंगी। कार्य पूर्ण होने के तुरन्त बाद न्यायिक अधिकारी एवं न्यायालय कर्मचारी न्यायालय परिसर से बाहर चले जायेंगे। जिला न्यायाधीश न्यायालय परिसर में कोर्ट स्टाफ का न्यूनतम प्रवेश सुनिश्चित करेंगे। जिला न्यायाधीश कर्मचारियों की संख्या तय करने, रोटेशन के माध्यम से ड्यूटी सौंपने, साप्ताहिक आधार पर दिन और समय-स्लॉट तय करने में विवेक का प्रयोग करेंगे। अगले आदेश तक गाउन पहनने की छूट है।