विनेश फोगाट द्वारा भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा पर लगाए गए आरोपों पर शीर्ष वकील हरीश साल्वे ने बड़ा पलटवार किया है। वकील हरीश साल्वे ने खुलासा किया है कि पहलवान से राजनेता बनीं विनेश फोगट सीएएस के फैसले को चुनौती देने की इच्छुक नहीं थीं, जिसने पेरिस ओलंपिक 2024 में संयुक्त रजत पदक के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
दरअसल, अभी बीते दिनों विनेश फोगाट ने आरोप लगाते हुए कहा था कि कि पेरिस ओलंपिक 2024 में उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और इसकी प्रमुख पीटी उषा का समर्थन नहीं मिला.
विनेश फोगाट को 50 किलोग्राम महिला फ्रीस्टाइल स्पर्धा से अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि उनका वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया। उन्हें अंतिम स्थान पर रखा गया।
अयोग्य ठहराए जाने के कारण उन्हें अपना स्वर्ण पदक गँवाना पड़ा। इसके बाद विनेश फोगाट ने खेल पंचाट न्यायालय (CAS) में अपील की और IOA की ओर से वकील हरीश साल्वे ने उनका प्रतिनिधित्व किया।
इससे पहले, सीएएस ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित करने के फैसले को बरकरार रखा था और महिलाओं की 50 किलोग्राम कुश्ती श्रेणी में संयुक्त रजत पदक के लिए उनकी अपील को खारिज कर दिया था।
पेरिस में फ्रांसीसी प्रो बोनो वकीलों द्वारा सीएएस में दायर की गई थी। अगस्त में, सीएएस ने एक बयान में पुष्टि की थी कि, ” विनेश फोगट द्वारा 7 अगस्त को दायर आवेदन को खारिज कर दिया गया है।”
अगस्त में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अधिवक्ता विदुषपत सिंघानिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि सीएएस के फैसले के खिलाफ 30 दिनों के भीतर स्विस फेडरल ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है।
विनेश फोगाट ने दावा किया था कि उनके वकीलों ने अयोग्यता मामले के खिलाफ अपील में नरमी बरती थी, जिसके कारण उन्हें पेरिस ओलंपिक पदक से हाथ धोना पड़ा था। इस दावे के बाद, शीर्ष वकील हरीश साल्वे ने सिंघानिया के बयान को दोहराया और कहा कि उन्हें ऐसा लगा कि फोगाट मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थीं।