उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को यहां गुरु तेगबहादुर साहिब के 400वें प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी ने भारत की संस्कृति एवं धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया। सत्य, न्याय और धर्म के लिए दिया गया बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता। कोई भी भारत के धर्म और संस्कृति को रौंदकर लम्बे समय तक इस देश पर राज नहीं कर पाया।
उन्होंने कहा कि सिख धर्मगुरुओं का त्याग और बलिदान न केवल इतिहास में दर्ज है, बल्कि आज भी यह हर भारतीय के मन में श्रद्धा और सम्मान का नया भाव पैदा करता है।
उन्होंने कहा कि सत्य, धर्म और न्याय से विचलित न होना ही खालसा पंथ का उद्देश्य था और यही उसकी पहचान भी है। खालसा पंथ के अनुयायियों ने सदैव अत्याचार का डटकर सामना किया है। आज विश्व भर में मौजूद सिख समाज के लोग अपने इन मूल्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। यह पंथ स्वावलम्बन और स्वाभिमान को पुष्ट करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेगबहादुर ने कश्मीर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया। जब कश्मीरी पण्डितों का एक प्रतिनिधिमण्डल गुरु तेगबहादुर से मिला एवं उनसे धर्म को बचाने का आग्रह किया तो धर्म की रक्षा करते हुए गुरु तेगबहादुर ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान के कारण कश्मीर सुरक्षित हो पाया था। खालसा पंथ का शौर्य, त्याग और पराक्रम का लम्बा इतिहास है। यह इतिहास हमें गौरव और सम्मान की अनुभूति कराता है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि लखनऊ के यहियागंज स्थित गुरुद्वारे में गुरु तेगबहादुर साहिब और गुरु गोविन्द सिंह से कई स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। यह वही ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जहां स्वयं गुरु तेगबहादुर जी महाराज तथा गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज ने प्रवास किया था। यह गुरुद्वारा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर है। नई पीढ़ी को इसकी महत्ता से अवगत कराना होगा। उन्होंने कहा कि इस पवित्र गुरुद्वारे में उन्हें स्वयं श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी को मत्था टेकने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित ‘महान कीर्तन दरबार’ का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर किया गया था। सिख पंथ से जुड़ा हुआ कोई आयोजन पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित किया गया। धर्म और राष्ट्र पर जब भी संकट आया, सिख गुरुओं ने बलिदान देने में संकोच नहीं किया। मुख्यमंत्री ने गुरु गोबिन्द सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने पुत्रों को समर्पित करते हुए दुःखी न होकर पूरे उत्साह के साथ कहा था-‘चार नहीं तो क्या हुआ, जीवित कई हजार’।
उनके चार साहिबज़ादों-साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह तथा साहिबज़ादा फतेह सिंह एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री आवास पर हुआ। गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों तथा माता गुज़री जी की शहादत अधिकारों, सत्य व धर्म की रक्षा का प्रेरक उदाहरण है। देश और धर्म की रक्षा के लिए सिख गुरुओं के बलिदान का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। यह अत्यन्त प्रेरणादायी है।
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कार्यक्रम के दौरान आयोजकों ने मुख्यमंत्री को गुरु तेगबहादुर का चित्र, अंगवस्त्र तथा तलवार भेंट किया। इस अवसर पर नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन, लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, राज्य सभा सांसद बृजलाल, सिख समुदाय के धर्मगुरु, यहियागंज ऐतिहासिक गुरुद्वारा तेगबहादुर साहिब जी कमेटी के अध्यक्ष डॉ गुरुमीत सिंह सहित बड़ी संख्या में सिख पंथ के अनुयायी उपस्थित थे।